इस सप्ताह शांघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उज्बेकिस्तान यात्रा से पहले भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह के उपयोग के लिए दीर्घकालिक समझौते पर बातचीत रुक गई है। बिज़नेस स्टैंडर्ड को पता चला कि इसका कारण विवाद समाधान तंत्र पर मतभेद होना बताया जा रहा है।
हाल ही में ईरान ने भारत को चाबहार बंदरगाह के 10 वर्ष के अनुबंध के लिए भारत को एक प्रस्ताव भेजा था, जिसे अब तक मंजूर नहीं किया गया है। इस मामले के जानकार एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आम सहमति के लिए एक जरूरी मुद्दा मध्यस्थता है। ईरान अपनी एजेंसी से बंदरगाह के लिए मध्यस्थ के रूप में कार्य करने के लिए पैरवी कर रहा है, जबकि भारत ने अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया है।
एक अधिकारी ने बताया, ‘ईरानी प्रतिनिधिमंडल से विधायी चिंताएं हैं जो विवादों के मामलों में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के प्रावधानों में बाधा डाल रही हैं। इस समस्या के समाधान के लिए हमारी नजर एक अंतरसरकारी समूह बनाने के प्रयासों पर है, जो दोनों तरफ के लिए हितकर हो। ’पोत, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय उद्योग और परिवहन कंपनियों के साथ नियमित बैठक करता आ रहा है और उन्हें अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे के मुहाने पर मौजूद चाबहार बंदरगाह के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि जो चिंताएं जाहिर की गई हैं उनमें से कुछ द्विपक्षीय बातचीत में भी शामिल हैं।
