अर्थव्यवस्था

3 साल में 10 फीसदी बढ़ा केंद्र का उपकर

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अरूप रायचौधरी, बरखा माथुर
Last Updated- December 30, 2022 | 11:29 PM IST

वित्त मंत्रालय ने 20 दिसंबर को बताया कि सालाना सकल कर संग्रह में केंद्रीय उपकर और अधिभार की हिस्सेदारी 2019-20 और 2021-22 के बीच 10 प्रतिशत बढ़ी है। उपकर और अधिभार से मिले धन को अमूमन राज्यों के साथ साझा नहीं किया जाता है, जिसे देखते हुए यह तेज बढ़ोतरी है। राज्य सभा के सांसद जॉन ब्रिटास के सवाल के जवाब में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि 2019-20 में 20.19 लाख करोड़ रुपये सकल कर राजस्व में उपकर और अधिभार की हिस्सेदारी 18.2 प्रतिशत थी। 2020-21 में महामारी का प्रकोप बहुत ज्यादा था और इस वर्ष सकल कर राजस्व में हिस्सेदारी 25.1 प्रतिशत थी। वहीं 2021-22 में इसकी हिस्सेदारी बढ़कर 28.1 प्रतिशत हो गई।

इन 3 वित्त वर्षों के दौरान उपकर और अधिभार संग्रह क्रमशः 3.65 लाख करोड़ रुपये, 5.09 लाख करोड़ रुपये और 7.07 लाख करोड़ रुपये रहा है। यह 3 साल में 3.42 लाख करोड़ रुपये या 93.7 प्रतिशत उछाल है। इसकी तुलना में सकल कर राजस्व में 2021-22 में राज्यों की हिस्सेदारी 7.45 लाख करोड़ रुपये रही है। करदाताओं के हिसाब से देखें तो उपकर नियमित कर भुगतान के अतिरिक्त होते हैं और कुल मिलाकर इससे उन पर कर का अतिरिक्त बोझ पड़ता है। बहरहाल राज्य सरकारों के लिए उपकर और नियमित करों (आयकर या सीमा शुल्क) के बीच उल्लेखनीय अंतर है। विभाजन योग्य कर उसे कहते हैं, जिसे केंद्र सरकार राज्यों के साथ साझा करती है। यह संवैधानिक अनिवार्यता है। उपकर और अधिभार इसमें शामिल नहीं होते हैं।

भारत के संविधान के अनुच्छेद 270 के तहत केंद्रीय सूची में शामिल सभी कर और शुल्क केंद्र द्वारा लगाए और संग्रहीत किए जाते हैं और उन्हें केंद्र व राज्यों के बीच विभाजित किया जाता है। इसमें विशेष शुल्क और कर, करों पर अधिभार और संसद के किसी कानून द्वारा किसी खास मकसद के लिए एकत्र किया जाने वाला कर शामिल नहीं किया जाता है। परिणामस्वरूप जब केंद्र सरकार का कुल मिलाकर राजस्व बढ़ता है तो राज्यों को उपकर का कोई लाभ नहीं मिलता है। बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘इस तरीके से केंद्र अपना राजस्व बढ़ा रहा है, जिसे साझा नहीं करना होता है। यह सही है या नहीं, इस पर निर्भर है कि किसलिए इसकी अनुमति दी गई है।’

2020-21 से केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी क्रमशः कम हो रही है, जबकि केंद्र का उपकर और अधिभार बढ़ा है। जीएसटी मुआवजा कर और कुछ अन्य उपकरों का एक हिस्सा राज्यों के साथ साझा किया जाता है, जिसका इस्तेमाल उन कामों में किया जाता है, जिसके लिए वे कर लगाए जाते हैं। बहरहाल ज्यादातर उपकर और अधिभार राज्यों के साथ साझा नहीं किए जाते।

इसकी वजह से अतिरिक्त धन जुटाने के लिए केंद्र सरकार की उपकरों पर निर्भरता बढ़ रही है और यह राज्यों के लिए चिंता का विषय है। राज्यों ने कई मौकों पर केंद्र के समक्ष चिंता जताई है। बजट के पहले केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ हुई बैठक में राज्यों ने केंद्र से अनुरोध किया था कि उपकरों को कर की मूल दरों में शामिल किया जाए, जिससे कि राज्यों को कर विभाजन में हिस्सेदारी मिल सके।

First Published : December 30, 2022 | 11:23 PM IST