अर्थव्यवस्था

BS Manthan 2025: Post-Covid हमने Digital Growth तो तेजी से की, लेकिन Reforms में धीमे रहे- डीके जोशी, CRISIL

डीके जोशी ने तीन पैमानों पर अपनी बात रखी- डिजिटल ग्रोथ, फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर और रिफॉर्म। जोशी का कहना है कि महामारी के बाद की अर्थव्यवस्था को इन पर आंकना चाहिए।

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निमिष कुमार   
Last Updated- February 28, 2025 | 8:28 AM IST

बिजनेस स्टैंडर्ड के दो दिवसीय कॉन्क्लेव ‘मंथन’ में CRISIL के डीके जोशी से जब पूछा गया कि भारत की ग्रोथ का आज और आने वाला कल कैसा है, तो जोशी ने सिलेवार 2047 तक ‘विकसित भारत’ के सपने को पूरा करने के पैरामीटर्स बता दिए। जोशी ने कहा कि भारत ने कोविड-19 के पूर्व की विकास दर को पा रहा है। हम एक तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था के रूप में 6.5 फीसदी की विकास दर अगले वर्षो में पा रहे हैं। हमारी अर्थव्यवस्था को विकसित करने वाले कारक अब मौजूद है, इसीलिए हम कह सकते है कि भारतीय अर्थव्यवस्था महामारी के पहले की विकास की राह पर है, लेकिन 2047 के ‘विकसित भारत’ के स्वप्न को पूरा करने के लिए अभी हमें बहुत से क्षेत्रों में मेहनत करनी होगी।

डीके जोशी ने तीन पैमानों पर अपनी बात रखी- डिजिटल ग्रोथ, फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर और रिफॉर्म। जोशी का कहना है कि महामारी के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था को इन तीन पैमानों पर आंकना सही होगा। जब हम डिजिटल ग्रोथ की बात करते हैं, तो ये हमें मानना होगा कि कोविड-19 के बाद भारत ने इस सेक्टर में बहुत बेहतर विकास किया। हमने पूरी दुनिया के सामने नए मापदंड स्थापित किए। वहीं फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करें, तो भारत सरकार इस सेक्टर में पहले से बहुत ज्यादा निवेश कर रही है। लेकिन इन दोनों की तुलना में रिफार्म्स की बात जब होती है, तो हमारी गति बहुत धीमी है।

हमें 6.7 फीसदी की विकास दर की ओऱ बढ़ना होगा, साथ ही हमें खाद्य महंगाई को नियंत्रित करना होगा वरना हम जितना आगे बढ़ेगें, ऐसे कारक हमारी ग्रोथ को वापस खींच लाएंगे। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की बात हो रही है, तो मैं आपको बता दूं कि आने वाले मार्च महीने को मानव इतिहास का सबसे गर्म माह बताया जा रहा है, यदि ऐसा होता है तो हमारी कपास की फसल पर इसका सीधा असर पड़ेगा। ऐसे बहुत से कारक है, जिन पर हमें ध्यान देना होगा।

ये सही है कि भारत सरकार अब कैपेक्स को लगातार बढ़ा रही है, भारत सरकार का ये परिव्यय बजट का 18-19 फीसदी तक हो रहा है, जिसका सीधा असर हमारी ग्रोथ पर हो रहा है। इसके साथ हमें निजी क्षेत्र को इस सेक्टर में ज्यादा से ज्यादा निवेश के लिए प्रोत्साहित करना होगा, तभी हम विकसित भारत के लिए जरूरी विकास दर को पा सकेंगे।

डीके जोशी ने कहा कि ये कहना सही नहीं होगा कि विदेशी निवेशक भारत से जा रहे है, जबकि लंबी अवधि में देखें तो विदेशी निवेश भारत में आया है, और ये हालात बेहतर होंगे क्योंकि सरकार अब इन्वेटमेंट फ्रेंडली कदम उठा रही है। हालिया बजट, 2025 का उदाहरण लें, जिस तरह से सरकार ने Deregulaization और Decriminalization को लेकर रिफार्म्स की कोशिश की है, उसका असर दिख रहा है। वहीं आधारभूत संरचना के मामले में हम तेजी से ग्लोबल स्टैंडर्ड की ओर बढ़ रहे हैं, उदाहरण के तौर पर हमारे बंदरगाहों पर टर्न-अराउंड टाइम पहले से बेहतर हुआ है, याने अब हमारे Ports पर मालवाहक जहाज को सामान उतारने और फिर माल लेकर निकलने में पहले से कम समय लग रहा है। हमारी सरकार ने कनेक्टविटी पर बहुत काम किया है, और कर रही है।

लेकिन डीके जोशी ये कहने से नहीं चूके कि जहां डिजिटल ग्रोथ में हमने लीफ फ्रॉग याने एक ऊंची छलांग लगाई है, रिफॉर्म्स के मामले में हम बहुत धीमें है। उदाहरण के लिए यदि हम न्यायिक रिफॉर्म की ही बात करें तो। हमें इस पर सोचना होगा, क्योंकि किसी भी विदेशी निवेशक के लिए ये एक मुश्किल फ्रंट होता है, और हमें इसे हटाना होगा।

First Published : February 27, 2025 | 10:16 PM IST