ब्लैकबेरी सेवा देने वाले भारतीय ऑपरेटर, कनाडा की टेल्को रिसर्च इन मोशन(रिम) के शीर्ष कार्यकारी, सुरक्षा एजेंसियों और दूरसंचार विभाग के अधिकारियों की बैठक 14 मार्च को होने की संभावना है।
उसमें सुरक्षा एजेंसियों की चिंताओं का जवाब दिया जाएगा ताकि मार्च के बाद ब्लैकबेरी सेवाएं खत्म कराने की कोशिश रोकी जा सके।
भारत में ब्लैकबेरी के 4 लाख ग्राहक हैं। एक सूत्र के मुताबिक ब्लैकबेरी ब्रांड की मालिक रिम से मोबाइल फोन पर मिलने वाले संदेशों को डिकोड करने की व्यवस्था तक पहुंच की सुविधा देने को कहा गया है।
इस मुद्दे ने भारत में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। ऑपरेटर इस बात को जान रहे हैं कि अगर ब्लैकबेरी सेवाओं पर प्रतिबंध लगाया जाता है, तो सुरक्षा एजेंसियां अन्य ई-कॉमर्स गतिविधियों को भी निशाना बनाएगी जिसमें मुद्रा-हस्तांतरण जैसी चीजें भी शामिल होगी।
इन गतिविधियों में भी संदेशों को कू ट किया जाता है। कूट प्रक्रिया का मतलब है कि कोई भी संदेश केवल उसी को हासिल हो सकता है,जिसके पास इस तरह की कूट संदेश कुंजी उपलब्ध होगी।
इसका मतलब हुआ कि अगर इस संदेश कुंजी की जानकारी न हो तो इस तरह की प्रक्रिया संभव नही हो पाएगा। इस वजह से ई-कॉमर्स जैसी गतिविधियां असंभव हो जाएगी।
इसी तरह की परेशानी अर्थात संदेशों को कोड केजरिये बदलने की प्रक्रिया होने पर लगभग हर वायरलेस कू ट ट्रांजेक्शन में समस्या आएगी। इसके तहत बैंकिंग, ई-कॉमर्स, ई-मेल और चैटिंग सबों में इसी तरह की परेशानियां आएगी।
इस वजह से उपभोक्ताओं की निजता भी प्रभावित होगी। डाटामॉनिटर इंडिया के प्रैक्टिस हेड आलोक शिंदे का कहना है कि इस तरह के मुद्दों पर निर्णय लेने से पहले काफी सोचने और विचार करने की जरुरत है।
इंटरनेट सेवा प्रदाताओं की जांच के काम में तेजी लाई जा चुकी है। भारतीय इंटरनेट सेवा प्रदाता संगठन(आईएसपीएआई)के अध्यक्ष राजेश छरिया का कहना है कि यह देश की सुरक्षा का मुद्दा है इसलिए नियमित जांच से हमें कोई ऐतराज नहीं है।
सभी इंटरनेट सेवा प्रदाता सहयोग करेंगे और उन्हें करना भी चाहिए। लेकिन इस म्मुद्दे की सबसे बड़ी पेंचीदगी यह है कि हमें संदेशों को कू ट करने के लिए सीमाओं को 128 बिट से घटाकर 40 बिट करने को कहा गया है, जो हास्यास्पद है।
इस तरह की मांग पूरे बैंकिंग और ई-कॉमर्स जगत को पंगु बना देगी। उनका कहना है कि इस संदर्भ में जब उन्होंने दूरसंचार विभाग को बताया तो उसने इस मुद्दे पर बातचीत करने का भरोसा दिलाया।
इस तरह की बातों से साइबर कानून विशेषज्ञ भी काफी चिंतित हैं।
सर्वोच्च न्यायालय के वकील और साइबर कानून विशेषज्ञ पवन दुगल का मानना है कि सरकार की इस संदर्भ में मंशा सही है, लेकिन इस मुद्दे पर भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कानून 2000 में कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है।
उन्होने बताया कि के वल धारा 69(उपधारा 2)में भारत में हो रही किसी भी इलेक्ट्रॉनिक संचार में अथॉरिटी को हस्तक्षेप करने और आदेश जारी करने का अधिकार है।
रिम के विवाद में बिना रिम को भरोसे में लिए हुए किसी प्रकार का संदेश कूट संबंधी प्रस्ताव जारी करना संभव नही है। इसी वजह से सरकार भी थोड़ा परेशान है।
साइबर कानून विशेषज्ञ एन विजयशंकर का कहना है कि यह पहला मौका है ,जब सरकार इलेक्ट्रॉनिक संचार में हस्तक्षेप करने की बात कर रही है। संदेशों को कूट में बदलकर उसे गंतव्य तक पहुंचने के जरिये निजता को उस समय बाधित किया जा रहा है, जब यह एक अहम मुद्दा बना हुआ है।
कुल मिलाकर भारत में इस तरह की सेवाओं को प्रतिबंधित करना किसी भी तरह जायज नही है।
कुछ तकनीक विशेषज्ञ का मानना है कि अगर भारत से कोई संदेश प्रेषित हो तो वायरलेस सेवा प्रदाता किसी छोर पर इसमें हस्तक्षेप कर सकते हैं।
लेकिन समस्या तब होगी, जब इस तरह के संदेशों का प्रेषण ब्लैकबेरी सेवा प्रदाता के जरिये हो, जो भारत के बाहर डिकोड हो जाए। विदेशों में इस तरह संदेशों का कूटीकरण सही नही है।
इस मुद्दे पर गूगल और याहू कुछ कहने से मुकर जाते हैं लेकि न माइक्रोसॉफ्ट इंडिया ने कहा कि यह मुद्दा उसे अभी प्रभावित करने वाला नही है।
मोबाइल कम्यूनिकेशंस बिजनेस, माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के निदेशक सुमीत गुगनानी का मानना है कि अगर कोई उपभोक्ता चाहता है कि उसका संदेश भारत से बाहर न पढ़ा जाए तो इस तरह के विंडोज उनके पास उपलब्ध हैं।