अर्थव्यवस्था

Bank borrowings : घटी नकदी तो बैंकों ने ली रिकॉर्ड उधारी

सितंबर 2022 में पहली बार बैंक उधारी 5 लाख करोड़ रुपये के पार

Published by
भास्कर दत्ता
Last Updated- March 14, 2023 | 10:43 PM IST

तरलता की स्थिति में ढांचागत बदलाव होने से अधिशेष नकदी बहुत कम हो गई और उधारी तेजी से बढ़ने के कारण बैंक इस वित्त वर्ष में लघु अव​धि के ऋण पर ज्यादा निर्भर हो गए हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष में अब तक बैंकों ने औसतन 4.2 लाख करोड़ रुपये उधार लिए हैं, जबकि पिछले वित्त वर्ष में औसत उधारी केवल 2.6 लाख करोड़ रुपये थी। RBI के आंकड़े हर पखवाड़े बदलते हैं और ताजा आंकड़ों में 24 फरवरी को बैंकों की बकाया उधारी दिखाई गई है।

मार्च के दूसरे पखवाड़े में नकदी की स्थिति ज्यादा तंग होती दिख रही है, इसलिए वित्त वर्ष के बाकी दो पखवाड़ों में बैंक उधारी बढ़ने की संभावना है। कुल मिलाकर मौद्रिक ढिलाई खत्म करने के RBI के प्रयासों से अधिशेष नकदी में तेज कमी आई और सितंबर 2022 में पहली बार बैंक उधारी 5 लाख करोड़ रुपये के पार चली गई। अक्टूबर में भी उधारी उससे ऊपर ही रही।

RBI के आंकड़े बताते हैं कि बैंक उधारी में घरेलू उधारी के साथ बैंकिंग प्रणाली के बाहर की कुल उधारी भी शामिल है। इसमें भारतीय बैंकों द्वारा विदेश से लिया गया उधार भी शामिल है। RBI से ली गई उधारी को इससे बाहर रखा गया है।

विश्लेषकों ने कहा कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिए उधारी मद में दिए गए आंकड़े अल्पकालिक उधारी जैसे अंतरबैंक रीपो कार्रवाई और त्रिपक्षीय रीपो को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि उसमें अतिरिक्त टियर-1 बॉन्ड और इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड जारी करना भी शामिल है मगर जमा पत्र इसमें शामिल नहीं हैं।

इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च के निदेशक सौम्यजित नियोगी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘असल में उधारी का एक हिस्सा शुद्ध रूप से 50-60 हजार करोड़ रुपये के इन्फ्रास्ट्रक्चर तथा अन्य ब़ॉन्ड के रूप में है।’ उन्होंने कहा, ‘ऋण वृद्धि जब मजबूत और टिकाऊ होती है तो बैंकों को अंततः अ​धिक जमा जैसे स्थिर समाधान तलाशने पड़ते हैं। वे कम मियाद की उधारी के दम पर ज्यादा कर्ज नहीं दे सकते।’

विश्लेषकों ने बैंक ऋण वृद्धि और जमा वृद्धि के बीच बड़ी खाई पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कई नए कारण इसकी वजह हो सकते हैं। एचडीएफसी की प्रधान अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि ऋण वृद्धि घट नहीं रही और जमा में जिस बढ़ोतरी की आपको उम्मीद है, वह दरों में इजाफे के इस दौर में हो नहीं पाई है। हो सकता है कि लोग अब बचत के दूसरे रास्ते तलाश रहे हों।’

RBI के आंकड़ों से पता चलता है कि 24 फरवरी तक बैंकों की ऋण वृद्धि 15.5 फीसदी थी, जो 10.1 फीसदी की जमा वृद्धि के मुकाबले काफी अ​धिक है। बैंकिंग प्रणाली में मौजूद अधिशेष नकदी अप्रैल 2022 में 7.4 लाख करोड़ रुपये थी, जो दिसंबर-जनवरी में घटकर 1.6 लाख करोड़ रुपये रह गई।

First Published : March 14, 2023 | 10:43 PM IST