सप्ताहांत पर सीमा शुल्क (कस्टम) मंजूरी में नाटकीय सुधार देखने को मिला और रविवार को समुद्री मार्ग से आने वाले तीन चौथाई माल को 48 घंटे से कम समय में मंजूरी मिल गई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक शुक्रवार को यह आंकड़ा केवल 27 फीसदी था। इससे आयातकों को बड़ी राहत मिली है।
उद्योग जगत काफी समय से यह शिकायत कर रहा था कि केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) द्वारा पहचान रहित (फेसलेस) आकलन की शुरुआत के बाद मंजूरी मिलने में अनावश्यक देरी हो रही है। इस शिकायत के बाद सरकार हरकत में आई। भारतीय सीमा शुल्क कारोबारी सुगमता डैश (आईसीईडैश) के अनुसार हवाई मालवहन में भी सुधार आया और 81 फीसदी माल को 48 घंटे से कम समय में स्वीकृति मिल गई जबकि शुक्रवार को यह आंकड़ा 71 फीसदी था।
आईसीईडैश एक विजुअल डैशबोर्ड है जो यह बताता है कि आयातित माल को विभिन्न सीमाशुल्क बंदरगाहों और हवाई अड्डों पर मंजूरी मिलने में तात्कालिक रूप से कितना समय लगा। 48 घंटे के भीतर मिलने वाली मंजूरी पर हरी बत्ती, 72 घंटे तक गहरी पीली बत्ती और उससे अधिक समय लगने पर लाल बत्ती जलती है। विश्व बैंक के मानकों के अनुसार समुद्री माल को 48 घंटे में मंजूरी मिल जानी चाहिए और हवाई माल को 24 घंटे के भीतर। भारत में आमतौर पर कार्गो को मंजूरी देने में औसतन 105 घंटे का समय लगता है।
सूत्रों के अनुसार सोमवार तक 15,000 एंट्री बिल जमा किए गए जबकि केवल 923 लंबित थे। सीबीआईसी ने आकलन अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अनावश्यक सवाल जवाब न करें। उसने क्षेत्रवार विशेषज्ञता के आधार पर अधिकारियों की टीम का पुनर्गठन भी किया है।
एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि सीमा शुल्क विभाग आकलन अधिकारियों के प्रदर्शन पर करीबी नजर बनाए हुए है। उन्होंने कहा कि ज्यादा पूछताछ न करने के निर्देश दिए गए हैं। यदि उन्हें एक से अधिक सवाल पूछने हैं तो इसके लिए अपने वरिष्ठ अधिकारी से मंजूरी लेनी होगी।
हवाई मार्ग से आने वाले माल के मामले में चेन्नई रविवार को सबसे तेज साबित हुआ और वहां 94 प्रतिशत से अधिक माल 48 घंटे के भीतर स्वीकृत हो गया। मुंबई में यह आंकड़ा 90 प्रतिशत, बेंगलूरु में 79 प्रतिशत और दिल्ली में 73 प्रतिशत रहा। जून में बेंगलूरु और चेन्नई के साथ सीमा शुल्क विभाग में पहचान रहित आकलन की चरणबद्ध शुरुआत की गई थी। अगस्त में मुंबई और दिल्ली में इसे शुरू किया गया। अनुमान है कि 31 अक्टूबर तक इसे पूरे देश में शुरू कर दिया जाएगा। ऐसे आकलन में एक खास स्थान पर बैठे आकलन अधिकारी को दूसरे स्थान पर हुए आयात के एंट्री बिल का आकलन करना होता है। उसे यह काम स्वचालित प्रणाली के माध्यम से सौंपा जाता है।
कुछ उद्योग जिन्हें ऐसी देरी का सामना करना पड़ रहा है वे हैं धातु, वाहन और वाहन कलपुर्जा, इलेक्ट्रिकल मशीनरी, रसायन और चिकित्सा उपकरण आदि। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस (फियो) के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को सीबीआईसी के सदस्य से मुलाकात कर आयात मंजूरी में देरी का मुद्दा उठाया। उनका कहना था कि पहचान रहित आकलन के कारण इसमें गतिरोध उत्पन्न हो रहा है।
