…और इधर महंगाई की तपिश में झुलसते उपभोक्ता

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 3:45 AM IST

इस साल भारतीय उपभोक्ताओं को गर्मी की जो तपिश महसूस हो रही है, शायद इससे पहले वह कभी नहीं हुई होगी।


पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी का असर उनके बजट पर साफ देखने को मिलेगा। भले ही सरकार ने यह दावा किया हो कि ईंधन की कीमतों में की गई बढ़ोतरी से थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) में तकरीबन 0.6 फीसदी की बढ़ोतरी होगी, पर वास्तविक आंकड़े इससे कहीं अधिक हो सकते हैं।

अब जरा गौर फरमाएं, कि भारतीय स्टेट बैंक के सेवानिवृत्त महाप्रबंधक 64 वर्षीय प्रभाकर कोलवांकर किस कदर बढ़ती महंगाई से परेशान हैं। वह कहते हैं कि पिछले दो साल के दौरान उनका घरेलू खर्च 9,000 रुपये से बढ़कर 16,000 रुपये तक पहुंच गया है। उन्हें पेंशन के तौर पर 9,500 रुपये मिलते हैं और इतनी ही रकम फिक्स्ड डिपॉजिट से मिलती है,  फिर भी घर का गुजारा मुश्किल से चल पाता है। 

ऐसा नहीं है कि युवाओं को इस महंगाई की चुभन नहीं हो रही है। माया एंटरटेनमेंट में प्रोडक्शन प्रमुख 30 वर्षीय सोम दासगुप्ता और उनकी पत्नी को शिकायत है कि सब्जियों के भाव में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इस दंपती को अपनी कमाई का 20 फीसदी हिस्सा मकान के किराये के रूप में देना पड़ता है और उन्हें डर है कि अगर इसी रफ्तार से महंगाई बढ़ती रही तो उनकी बचत का ग्राफ जल्द ही बिगड़ सकता है।

एनसीडीईएक्स में प्रमुख अर्थशास्त्री मदन सबनाविस कहते हैं कि ईंधन की कीमतों में इस बढ़ोतरी से घर के मासिक बजट में 8 से 10 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 10 फीसदी और एलपीजी की कीमत में 13 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है तो स्वाभाविक है कि माल ढुलाई का खर्च बढ़ने से खाद्य पदार्थों की कीमतें भी बढ़ेंगी। सांख्यिकी मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि भले ही इस बढ़ोतरी से डब्ल्यूपीआई में 0.3 फीसदी की बढ़ोतरी होगी, पर महीने का घरेलू बजट 10 फीसदी तक ऊपर जा सकता है।

First Published : June 5, 2008 | 10:26 PM IST