वित्त मंत्रालय ने कहा है कि देश को नीतिगत स्तर पर नए सिरे से विचार करना होगा, जिसमें कौशल, स्वास्थ्य के अलावाा कृषि आपूर्ति शृंखला, फैक्टर मार्केट्स, इन्फ्रास्ट्रक्चर, सूचना एवं संचार तकनीक (आईसीटी), स्टार्टअप और वित्तीय समावेशन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण और कोविड-19 के बाद की दुनिया की अनिश्चितता को देखते हुुए यह जरूरी है।
अगस्त के लिए अपनी मासिक आर्थिक रिपोर्ट में आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) ने दावा किया है कि अर्थव्यवस्था में तेज रिकवरी होगी और चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही और उसके बाद से अनलॉक शुरू होने के साथ इसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पहली तिमाही में लॉकडाउन के कारण जीडीपी में 23.9 प्रतिशत का भारी संकुचन हुआ है।
सरकार ने ट्रैक्टरों की बिक्री, उर्वरकों की बिक्री, स्टील की खपत और उत्पादन, सीमेंट उत्पादन, बिजली की खपत, ई-वे बिल, राजमार्गों पर टोल संग्रह, जीएसटी संग्रह, डिजिटल लेन देन के अलावा अन्य आंकड़ों के आधार पर अनुमान लगाया है।
इसमें कहा गया है कि अन्य विकसित देशों की ही तरह भारत में भी लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था में संकुचन आया है और इसके चलते कोविड-19 की वजह से होने वाली मौतें बहुत कम रही हैं। डीईए ने कहा है कि कोविड-19 के बाद की दुनिया अलग होगी और उत्पादन, खपत और काम करने के तरीके में ढांचागत बदलाव आएगा।
इस सिलसिले में उपरोक्त उल्लिखित क्षेत्रों में खास जोर देने की जरूरत बताई गई है।