दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मोटरसाइकिल निर्माता कंपनी यामाहा मोटर भारत में बनी मोटरसाइकिलें यूरोपीय बाजार के लिए निर्यात करेगी। इसकी वजह यह है कि कंपनी की भारतीय इकाई की बिक्री घट गई है।
कंपनी के अध्यक्ष ताकाशी काजीकावा ने बताया कि मोटरसाइकिलों का निर्यात अगले साल तक शुरु होगा। साल 2001 तक यामाहा की भारतीय इकाई को करीब 340 करोड़ रुपये का परिचालन घाटा हुआ था।
कंपनी को हो रहे इस नुकसान के पीछे की एक वजह,हीरो होंडा मोटर्स लिमिटेड की दो बाइक हन्क और स्पेलंडर की बाजार में धमाकेदार प्रदर्शन भी है।
इसका प्रभाव यह रहा कि पिछले साल कंपनी की आमदनी करीब 48 प्रतिशत गिर गई। कंपनी भारत में अपनी कुल उत्पादन क्षमता का केवल 33 प्रतिशत ही इस्तेमाल करती है।
टोकियो के वरिष्ठ विश्लेषक कोजी ऐंडो कहते हैं कि भारत में यामाहा की हालत काफी खराब है और अगर उसने समय रहते कुछ नहीं किया तो घाटा बढ़ता ही जाएगा। उसे अपनी परिचालन लागत बढ़ानी ही होगी और निर्यात करना एक सही कदम होगा। 2007 में यामाहा मोटर की भारत में बिक्री खासी गिर गई। कंपनी ने 2006 में जहां 2,30,000 वाहन बेचे वहीं 2007 में वह केवल 1,20,000 वाहन ही बेच सकी।
इस दौरान कंपनी का निर्यात भी करीब 4.9 प्रतिशत घट कर 52,024 वाहन पर आ गया।
यहां तक की कंपनी को मित्सुई ऐंड कंपनी का हाथ थामना पड़ा ताकि उसके बिक्री नेटवर्क का इस्तेमाल कर स्थिति सुधारी जा सके। काजीकावा कहते हैं
कि कंपनी यूरोपीय बाजार में निर्यात का सहारा लेकर भारत में अपनी खराब हालत के इलाज का सपना देख रही है। कंपनी का सबसे बड़ा मकसद अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ाना चाहती है। यामाहा 125 सीसी क्षमता वाली मोटरसाइकिलों का निर्यात करेगी जो खास तौर पर भारतीय बाजार के लिए बनाई गई हैं।
कंपनी ने पिछले महीने कहा था कि वह अगले तीन सालों में करीब 174 मिलियन डॉलर का निवेश कर अपनी बिक्री को पांच गुना बढ़ाने की कोशिश करेगी।
इसके अलावा कंपनी की योजना भारत में अत्याधुनिक मोटरसाइकिलें बेचने की है। हालांकि के्रडिट सूजी के कोजी ऐंडो यामाहा के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहते हैं कि कंपनी का ब्रांड वैल्यू काफी कम है और उसका मुकाबला दमदार खिलाड़ियों से है।
भले ही भारतीय बाजार के और बढ़ने के आसार हैं लेकिन यामहा के लिए उम्मीदें काफी कम हैं।
यामाहा की ग्लैडियेटर और जी5 मॉडल का भारतीय मोटरसाइकिल बाजार के केवल 2 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा है जबकि हीरो होंडा 58 प्रतिशत हिस्से पर काबिज है। 30 प्रतिशत बजाज ऑटो के हिस्से में है और बाकी 8.6 प्रतिशत पर टीवीएस का राज है।