facebookmetapixel
Vodafone Idea को कैबिनेट से मिली बड़ी राहत: ₹87,695 करोड़ के AGR बकाये पर लगी रोकYear Ender: SIP और खुदरा निवेशकों की ताकत से MF इंडस्ट्री ने 2025 में जोड़े रिकॉर्ड ₹14 लाख करोड़मुंबई में 14 साल में सबसे अधिक संपत्ति रजिस्ट्रेशन, 2025 में 1.5 लाख से ज्यादा यूनिट्स दर्जसर्वे का खुलासा: डर के कारण अमेरिका में 27% प्रवासी, ग्रीन कार्ड धारक भी यात्रा से दूरBank Holiday: 31 दिसंबर और 1 जनवरी को जानें कहां-कहां बंद रहेंगे बैंक; चेक करें हॉलिडे लिस्टStock Market Holiday New Year 2026: निवेशकों के लिए जरूरी खबर, क्या 1 जनवरी को NSE और BSE बंद रहेंगे? जानेंNew Year Eve: Swiggy, Zomato से आज नहीं कर सकेंगे ऑर्डर? 1.5 लाख डिलीवरी वर्कर्स हड़ताल परGold silver price today: साल के अंतिम दिन मुनाफावसूली से लुढ़के सोना चांदी, चेक करें ताजा भाव2026 के लिए पोर्टफोलियो में रखें ये 3 ‘धुरंधर’ शेयर, Choice Broking ने बनाया टॉप पिकWeather Update Today: उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड और घना कोहरा, जनजीवन अस्त-व्यस्त; मौसम विभाग ने जारी की चेतावनी

डब्ल्यूएचओ हुई भारतीय दवा कंपनियों से खफा

Last Updated- December 05, 2022 | 4:22 PM IST


विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ) भारतीय दवा कंपनियों द्वारा धड़ल्ले से उसके लोगो का इस्तेमाल किए जाने से बहुत खफा है। डब्ल्यूएचओ ने भारतीय दवा कंपनियों द्वारा बिना पेटेंट कराए गए नामों की.
 दवाओं के बाजार में खुलेआम बेचे जाने से भी नाखुश है। साल की शुरुआत में ही डब्ल्यूएचओ भारत के औषधि नियंत्रक को भी भारतीय दवा कंपनियों द्वारा अंतरराष्ट्रीय पेटेंट कानूनों के उल्लंघन के बारे में लिख चुका है। 
इसी सिलसिले में डब्ल्यूएचओ ने दो हफ्ते पहले ही दवा कंपनी वोकहार्ड को लिखित रुप से अपने लोगो का इस्तेमाल करने से मना किया है। दरअसल यह कंपनी अपनी रेबीज की दवा बेचने के लिए डब्ल्यूएचओ के लोगो का इस्तेमाल कर रही थी। कंपनी के विज्ञापनों में इस दवा को डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रमाणित बताया जा रहा था। विज्ञापन में डब्ल्यूएचओ का लोगो भी साफ दिखाया जा रहा था। जबकि डब्ल्यूएचओ के नियमों के मुताबिक संगठन की आज्ञा के बगैर ऐसा करना मना है। संगठन द्वारा भेजे गए पत्र में बताया गया है कि व्यवसायिक मामलों में अक्सर ऐसी आज्ञा नही दी जाती। कंपनी का यह विज्ञापन पूरी तरह से व्यवसायिक था इसीलिए इस विज्ञापन को बंद करने के लिए कहा गया था। कंपनी को आगे भी ऐसा करने से मना किया गया है। संगठन ने कं पनी को विज्ञापन में से डब्ल्यूएचओ का नाम हटाकर विज्ञापन को जारी करने की अनुमति दे दी है।
भारतीय दवा कंपनियों के इतिहास में ऐसा पहली बार नही हो रहा है। गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, नागपुर के फार्मा शोधकर्ता विजय थवानी ने अपने सर्वेक्षण में ऐसे 40 मामले ढूंढ निकाले हैं। इन मामलों में छोटी दवा कंपनियों के अलावा रेनबैक्सी और सनोफी अवेंतिस जैसी बड़ी कंपनियां भी शामिल हैं। बड़ी कंपनियां भी अपनी वैक्सीन, एड्स की दवा और सामान्य तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले ओआरएस के घोल को बेचने के लिए भी डब्ल्यूएचओ के लोगो का इस्तेमाल करती हैं।
 

First Published - February 27, 2008 | 9:57 PM IST

संबंधित पोस्ट