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दो और फर्मों की दवा जांच के दायरे में, जहरीले पदार्थ मिलने पर जारी की गई चेतावनी

नैफडैक ने 12 जून की अ​धिसूचना में कहा है कि मुंबई की कंपनी साइनकेयर के पैरासिटामॉल सिरप में विषाक्त पदार्थ पाया गया है।

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सोहिनी दास   
Last Updated- June 19, 2023 | 10:13 PM IST

भारत से दवा निर्यात करने वाली दो और कंपनियां तथा उनकी दवाएं जांच के दायरे में आ गई हैं। नाइजीरिया की स्वास्थ्य एजेंसी राष्ट्रीय खाद्य एवं औष​धि प्रशासन एवं नियंत्रण एजेंसी (नैफडैक) ने पैरासिटामॉल तथा एक अन्य कफ सिरप के लिए चेतावनी जारी की है। एजेंसी ने उसमें जहरीले पदार्थ होने या दवा घटिया होने की चेतावनी दी है।

नैफडैक ने 12 जून की अ​धिसूचना में कहा है कि मुंबई की कंपनी साइनकेयर के पैरासिटामॉल सिरप में विषाक्त पदार्थ पाया गया है। एजेंसी ने कहा कि लाइबेरियन मेडिसिन ऐंड हेल्थ प्रोडक्ट रेगुलेटरी से मिले पैरा क्लियर सस्पेंशन 125 को जांच के लिए नैफडैक सेंट्रल ड्रग कंट्रोल लैबोरेटरी में भेजा गया था। इसमें हानिकारक ए​थिलीन ग्लाइकॉल पाया गया।

एजेंसी ने अपनी वेबसाइट पर चेतावनी जारी कर कहा है, ‘प्रयोगशाला में नमूनों की जांच करने पर जहरीला एथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया, जिसे इसमें नहीं होना चाहिए था। प्रयोगशाला में दवा पिलाने पर पांच पशुओं की मौत भी हो गई।’

उसने कहा कि डाइए​थिलीन ग्लाइकॉल और ए​थिलीन ग्लाइकॉल मनुष्यों के लिए जहर की तरह होते हैं और उनका सेवन जानलेवा हो सकता है। इससे पेट में दर्द, उल्टी, दस्त, मूत्र रुकना और गुर्दे की समस्या हो सकती है, जिनसे मौत भी हो सकती है। पैरासिटामॉल सिरप का उपयोग हल्के दर्द, सिरदर्द, माइग्रेन, दांत दर्द, गले में खराश, माहवारी के दर्द आदि से राहत के लिए किया जाता है। बुखार और सर्दी-फ्लू के लक्षण दिखने पर भी इसका सेवन किया जाता है।

नाइजीरिया की स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि यह दवा मुंबई की कंपनी साइनकेयर ने बनाया था और लाइबेरिया की बीवीएम फार्मास्युटिकल ने इसका आयात किया था। दवा की इस खेप का बैच नंबर एल20008 है।

13 जून को एक अन्य अ​धिसूचना में मार्शल आइलैंड्स और माइक्रोनेशिया राज्य में गुएफेनेसिन सिरप का एक बैच दू​षित या घटिया पाया गया, जिसकी सूचना 6 अप्रैल को ही विश्व स्वास्थ्य संगठन को दी जा चुकी थी। मार्शल आइलैंड्स से मिले सिरप के नमूने की जांच ऑस्ट्रेलिया के ​थेरेप्यूटिक गुड्स एडमिनिस्ट्रेशन (टीजीए) प्रयोगशाला में की गई, जहां इसमें डाइए​थिलीन ग्लाइकॉल तथा ए​थिलीन ग्लाइकॉल अस्वीकार्य मात्रा में पाए गए।

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नैफडैक ने कहा, ‘गुएफेनेसिन सिरप पंजाब की क्यूपी फार्माकेम ने बनाया था और हरियाणा की ट्रिलियन फार्मा ने उसे बेचा था। विनिर्माता और विक्रेता अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन को दवा महफूज होने और गुणवत्ता भरी होने का भरोसा नहीं दिला पाए हैं।’

इस दवा का उपयोग सीने में जकड़न दूर करने और खांसी के उपचार में किया जाता है। दू​षित गुएफेनेसिन सिरप का सेवन बच्चों के लिए खास तौर पर जोखिम भरा है क्योंकि इससे मौत भी हो सकती है।

पिछले साल के अंत से ही भारत में बनी और निर्यात की गई दवाएं मिलावटी, जहरीली और घटिया होने की खबरें आ रही हैं। गा​म्बिया, उज्बेकिस्तान, मार्शल आइलैंड्स आदि से इस तरह की ​शिकायतें आई हैं। इस महीने की शुरुआत में श्रीलंका ने गुजरात की कंपनी इंडियाना ऑफ्थैल्मिक्स का आई ड्रॉप इस्तेमाल करने से 30 लोगों में संक्रमण होने की शिकायत की थी। इसके बाद केंद्रीय औषधि मानक एवं नियंत्रण संगठन ने इसकी जांच शुरू की थी।

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पिछले साल अक्टूबर में हरियाणा की मेडन फार्मा का कफ सिरप जांच के दायरे में आ गया, जब गाम्बिया ने इसका सेवन करने पर अपने यहां 70 बच्चों की मौत होने का आरोप लगा दिया। इसके बाद केंद्रीय औष​धि मानक एवं नियंत्रण संगठन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा कि निर्यात से पहले सरकारी प्रयोगाशालाओं में कफ सिरप की जांच अनिवार्य होनी चाहिए।

First Published : June 19, 2023 | 10:13 PM IST