वोडाफोन पीएलसी और आदित्य बिड़ला समूह के संयुक्त उद्यम वाली कंपनी वोडाफोन आइडिया सरकार को सकल समायोजित राजस्व (एजीआर) का बकाया और स्पेक्ट्रम शुल्क चुकाने के लिए 75 करोड़ डॉलर (लगभग 5,500 करोड़ रुपये) जुटाने की योजना बना रही है। यह रकम परिवर्तनीय बॉन्डों के जरिये जुटाई जाएगी और बॉन्डों को इक्विटी में बदले जाने पर वोडाफोन आइडिया में दोनों प्रवर्तकों की हिस्सेदारी खासी घट जाएगी।
योजना की जानकारी रखने वाले एक बैंकर ने यह जानकारी दी। उसने बताया कि देश की तीसरी सबसे बड़ी दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी वोडाफोन आइडिया ने रकम जुटाने के लिए निवेशकों से बातचीत शुरू भी कर दी है और अगली तिमाही में किसी भी समय बॉन्ड पेश किए जा सकते हैं।
वोडाफोन आइडिया लिमिटेड में वोडाफोन समूह की 44.39 फीसदी और आदित्य बिड़ला समूह की 27.66 फीसदी हिस्सेदारी है। बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर आज वोडाफोन आइडिया का शेयर 10.25 रुपये पर बंद हुआ, जिसके हिसाब से कंपनी का बाजार मूल्य 29,450 करोड़ रुपये है।
एक अन्य बैंकर ने कहा कि परिवर्तनीय बॉन्ड एक बार फिर विदेशी निवेशकों को लुभा रहे हैं। इनके जरिये भारती एयरटेल ने 100 करोड़ डॉलर और इंडियाबुल्स फाइनैंस ने 15 करोड़ डॉलर जुटाए थे। बैंकर ने कहा कि 2008 के वित्तीय संकट के बाद कई भारतीय कंपनियां अपने बॉन्ड का भुगतान करने से चूक गई थीं, जिसके बाद विदेशी निवेशक परिवर्तनीय बॉन्डों से कतराने लगे थे। मगर अब तस्वीर बदली है।
वोडाफोन पीएलसी से जब इस योजना के बारे में पूछा गया तो उसके प्रवक्ता ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। आदित्य बिड़ला समूह को भेजे गए ईमेल का जवाब भी खबर लिखे जाने तक नहीं आया था।
बॉन्ड जारी करना वोडाफोन आइडिया की 25,000 करोड़ रुपये जुटाने की उस योजना का हिस्सा है, जिसे पिछले साल सितंबर में कंपनी के निदेशक मंडल ने मंजूरी दी थी। मीडिया में पहले आई खबरों में कहा गया था कि कंपनी कुछ विदेशी निवेशकों से करीब 2 अरब डॉलर जुटाने की योजना बना रही है। मगर निवेशक पीछे हट गए। जियो और भारती एयरटेल से मिल रही कड़ी प्रतिस्पद्र्घा और एजीआर बकाये के भारी भरकम बोझ के कारण वोडा आइडिया की वित्तीय हालत गड़बड़ा रही है। दूरसंचार विभाग के आकलन के अनुसार वोडाफोन आइडिया पर वित्त वर्ष 2017 तक कुल 58,250 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया था। कंपनी इसमें से 7,854 करोड़ रुपये पहले ही दे चुकी है और इस महीने के अंत तक उसे 10 फीसदी रकम अदा करनी है।