वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड के लेनदारों ने परिसमापन पर अंतिम फैसला लेने से पहले बेहतर बोली हासिल करने की खातिर इंतजार करने का मन बनाया है। शुक्रवार को लेनदारों की समिति की बैठक हुई। बैठक में यह राय सामने आई कि मौजूदा कोरोना महामारी से कुछ बोलीदाता कंपनी की बोली से हट गए हैं।
अगर कंपनी को परिसमापन में भेजा जाता है तो लेनदारों को अपने कर्ज पर भारी कटौती झेलनी होगी। लेकिन जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था जोर पकड़ रही है, लेनदारों का मानना है कि बोलीदाता वापस लौटेंगे।
कंपनी को कर्ज समाधान के लिए एनसीएलटी भेजे जाने के समय कंपनी पर 59,541 करोड़ रुपये के बकाए का दावा किया गया था। जिनमें से नवंबर 2018 में 57,443 करोड़ रुपये के दावे स्वीकार किए गए। इसमें एसबीआई ने सबसे ज्यादा 11,175 करोड़ रुपये का दावा किया है। एसबीआई के बाद 9,561 करोड़ रुपये के दावे के साथ आईडीबीआई बैंक और 5,066 करोड़ रुपये के दावे के साथ सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का स्थान है। सीओसी की पिछली बैठक में लेनदारों ने कंपनी को परिसमापन में भेजने के विकल्प पर चर्चा की थी क्योंकि बोलीदाता पीछे हट रहे थे।