भारतीय वस्त्र निर्यातकों ने शुक्रवार को आगाह करते हुए कहा कि अमेरिका द्वारा लगाए गए 25 प्रतिशत शुल्क के कारण उत्पादन इकाइयों में बड़े पैमाने पर छंटनी हो सकती है। उन्होंने इस स्थिति से निपटने के लिए सरकारी हस्तक्षेप की मांग की है। यह चेतावनी बहुत अहम है क्योंकि कपड़ा एवं वस्त्र उद्योग कृषि के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता क्षेत्र है। करीब 4.5 करोड़ लोग इस क्षेत्र में सीधे रोजगारशुदा हैं। इनमें कई महिलाएं और ग्रामीण आबादी शामिल है। इस उद्योग की समावेशी प्रकृति का एक उदाहरण यह भी है कि इसकी करीब 80 फीसदी क्षमता सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रमों के क्लस्टर में विस्तारित है।
अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन सुधीर सीकरी ने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा, ‘हम सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हैं ताकि वह इस झटके से निजात दिला सके। निर्यातकों को अपने उपक्रम चालू रखने और भारी कटौती करने से बचने के लिए अपने माल को लागत से कम दाम पर बेचना पड़ेगा।’ यह उद्योग सालाना 2,200 करोड़ वस्त्र तैयार करता है और इसका बाजार 2030 तक करीब 350 अरब डॉलर पहुंचने की उम्मीद है। वर्तमान में इसका बाजार 174 अरब डॉलर है। अमेरिकी टैरिफ से इस क्षेत्र की इन संभावनाओं को भी क्षति पहुंचेगी।
भारतीय वस्त्र उद्योग परिसंघ (सीआईटीआई) ने भी कहा कि अमेरिका की शुल्क संबंधी नई घोषणा ने भारत के वस्त्र और परिधान निर्यातकों के लिए पहले से ही चुनौतीपूर्ण स्थिति को और अधिक कठिन बना दिया है तथा उम्मीद है कि सरकार इस कठिन समय में इस क्षेत्र की सहायता करेगी। सीआईटीआई का मानना है कि सरकार द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी कीमतों पर कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करना इस संबंध में कपड़ा क्षेत्र के लिए एक मूल्यवान समर्थन साबित होगा, क्योंकि इससे स्थानीय उद्योग अपने अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धियों के साथ बेहतर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होंगे।
संगठन अध्यक्ष राकेश मेहरा ने कहा, ‘अमेरिका द्वारा की गई नवीनतम टैरिफ घोषणा, भारत के कपड़ा और परिधान निर्यातकों की मुश्किलें और बढ़ा देंगी क्योंकि हमें शुल्क के मामले में गहन नुकसान से जूझना होगा।‘ भारत के लिए अमेरिकी टैरिफ दर 25 प्रतिशत निर्धारित की गई है। अमेरिका, भारत के लिए कपड़ा और परिधान निर्यात का सबसे बड़ा बाजार है। जनवरी-मई 2025 के दौरान, भारत से अमेरिका द्वारा कपड़ा और परिधानों का आयात 4.59 अरब डॉलर आंका गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 13 प्रतिशत से अधिक है। उस अवधि में यह 4.05 अरब डॉलर था। अमेरिका ने बांग्लादेश और वियतनाम के लिए 20 फीसदी और इंडोनिशिया तथा कंबोडिया के लिए 19-19 फीसदी की दर तय की है।