गो फर्स्ट (Go First) की दिवालिया अर्जी और उड़ानों की बंदी से ट्रैवल एजेंट भी मुश्किल में फंस गए हैं। ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (TAAI) ने कहा कि एडवांस, आगे की बुकिंग और रिफंड के तौर पर गो फर्स्ट में उनके सदस्यों के करीब 900 करोड़ रुपये फंस गए हैं।
ट्रैवल एजेंटों ने आज नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को ज्ञापन देकर फंसी रकम का आंकड़ा बताया और पैसा वापस दिलाने में मदद की गुहार लगाई।
TAAI ने कहा, ‘हमें सुरक्षा चाहिए और रिफंड के बारे में कानूनों पर नए सिरे से विचार होना चाहिए। हम कम दाम पर यात्रा कराने वाली विमानन कंपनियों को टिकट का पैसा अग्रिम यानी एडवांस दे देते हैं। एयरलाइन हमारे लिए क्रेडिट शेल बनाती हैं और सभी टिकट उसी में मौजूद रकम से जारी किए जाते हैं। यह पूरा क्रेडिट शेल विमानन कंपनी के पास ही रहता है।’
ट्रैवल एजेंटों के इस संगठन ने कहा कि देश के भीतर पर्यटन में तेजी देखी जा रही है और गर्मी की छुट्टियों के समय सैर-सपाटे के लिहाज से इस समय सबसे ज्यादा मांग होती है। इन छुट्टियों के लिए गो फर्स्ट की उड़ानों में TAAI के सदस्यों ने 90 से 93 फीसदी तक सीटें बुक कर दी थीं। इसलिए उनके करीब 900 करोड़ रुपये कंपनी के पास फंसे होने का अनुमान है।
अभी सटीक रकम की जानकारी तो नहीं है मगर एजेंटों ने सरकार से मांग की है कि गो फर्स्ट को समूचा बकाया फौरन वापस करने का निर्देश दिया जाए।TAAI की अध्यक्ष ज्योति मायल ने आशंका जताई कि विमानन कंपनी जो सेवा नहीं दे रही है, उससे यात्रा उद्योग और ग्राहकों की रकम डूब जाएगी।
नागर विमानन मंत्रालय से इस बारे में तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। जब गो फर्स्ट से संपर्क किया गया तो कंपनी ने एक बयान में कहा कि वह यात्रियों की असुविधा कम करने के लिए सभी संभव उपाय कर रही है।
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कंपनी ने कहा, ‘DGCA का नोटिस आने से पहले ही हमने टिकटों की बुकिंग बंद कर दी थी। नोटिस का जवाब समय पर दिया जाएगा।’
सोमवार को नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने गो फर्स्ट को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा था कि उसका परिचालन सर्टिफिकेट या लाइसेंस रद्द क्यों नहीं किया जाना चाहिए? पिछले गुरुवार को नियामक ने विमानन कंपनी से कहा था कि सभी प्रभावित यात्रियों के पैसे नियम के मुताबिक वापस किए जाएं।
2 मई को उड़ानें रोकने से पहले गो फर्स्ट रोजाना करीब 200 उड़ानें चला रही थी, जिनमें 25,000 से 30,000 यात्री हवाई सफर कर रहे थे। गो फर्स्ट के लिए दिल्ली-श्रीनगर, दिल्ली-लेह और मुंबई-गोवा सबसे व्यस्त मार्ग हैं।
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उड़ानें अचानक बंद होने से सैकड़ों पर्यटक फंस गए और अपनी यात्रा पूरी करने के लिए उन्हें अलग से पैसे खर्च करने पड़े। ऑल लद्दाख टूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन के अनुसार लेह के लिए गो फर्स्ट की रोजाना औसतन 10 उड़ानें थीं, जिनमें 1,500 यात्री सफर करते थे। संगठन ने मांग की कि लेह में गो फर्स्ट के स्लॉट दूसरी विमानन कंपनियों को दे दिए जाने चाहिए। इससे उड़ानों की घटी संख्या की भरपाई में तो मदद मिलेगी ही, पर्यटन उद्योग को भी मदद मिलेगी।