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प्राइवेट इक्विटी दिग्गज TPG की तरफ से श्रीराम फाइनैंस की पूरी 2.65 फीसदी हिस्सेदारी 1,400 करोड़ रुपये में बेचे जाने की खबर के बीच श्रीराम फाइनैंस के कार्यकारी वाइस चेयरमैन उमेश रेवणकर का मानना है कि बिना किसी छूट के हुआ यह सौदा उनकी कंपनी के लिए सकारात्मक है। शाइन जैकब संग बातचीत में रेवणकर ने इस सौदे, पीरामल समूह की निकासी को लेकर कयास और भविष्य के परिदृश्य पर विस्तार से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…
ब्लॉक डील द्वितीयक बाजार का लेनदेन है, जिस पर हम बहुत ज्यादा चर्चा नहीं कर सकते। अभी भी मैं आपको कह सकता हूं कि यह ब्लॉक डील बिना किसी छूट पर हुआ, जो कंपनी पर भरोसे को प्रदर्शित करता है। यह हमें यह भरोसा भी देता है कि आगे होने वाली निकासी का कंपनी के शेयर भाव पर कोई असर नहीं होगा।
TPG हमारा लंबी अवधि का साझेदार है। वह हमारे साथ 15 वर्षों से जुड़े हैं। वे सूचीबद्ध व असूचीबद्ध दोनों तरह की इकाइयों में हमारे साथ रहे हैं। वे अभी भी बीमा में हमारे साझेदार हैं। यह इसलिए हुआ क्योंकि कुछ फंडों की एक्सपायरी डेट होती है। अन्यथा मुझे नहीं लगता कि वे बिकवाली करते। वे बीमा में हमारे मजबूत साझेदार बने हुए हैं और आगे भी नए उद्यम में हो सकते हैं।
ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है और मुझे नहीं लगता कि वे निकासी करेंगे। कुल मिलाकर यह सेगमेंट बाजार में काफी सकारात्मक नजर आ रहा है। कंपनी अपना मार्जिन बनाए रख सकती है। पहले माना जा रहा था कि ब्याज दर बढ़ने के साथ मार्जिन घटेगा। अब ऐसा नहीं है, जो NBFC उद्योग के लिए सकारात्मक है। अर्थव्यवस्था बेहतर कर रही है और वाहन व उपकरणों की अच्छी मांग है। साथ ही बुनियादी ढांचे पर सरकार की मांग आशावादी है। ये सभी चीजें कंपनी के तौर पर हमारे लिए अच्छी हैं।
नहीं, यह असूचीबद्ध इकाई है और मैं वास्तव में ऐसा नहीं देख रहा हूं। यह मार्केट ऑपरेशन नहीं है और यह द्विपक्षीय सौदा होगा। मुझे नहीं लगता कि इस समय ऐसा कोई कदम उठाया जा रहा है। हमें कोई सूचना नहीं मिली है। चूंकि ये सभी द्विपक्षीय सौदे हैं, ऐसे में किसी को हमारे संपर्क में आना होगा या हमें किसी से संपर्क करना होगा। अभी ऐसा नहीं हो रहा है।
हम 2023-24 में AUM में 15 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज कर सकते हैं। हमारा ध्यान आगे परिचालन दक्षता व परिसंपत्ति गुणवत्ता पर मुनाफे में सुधार पर होगा। इस पर हमारा ध्यान बना रहेगा। वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री वित्त वर्ष 24 में दो अंकों में रहेगी, जो हमारे लिए काफी सकारात्मक है। वाहन की कीमतें भी इस वित्त वर्ष में 3-4 फीसदी बढ़ी है। कीमत बढ़ोतरी के बावजूद बिक्री बढ़ रही है। यह बताता है कि मांग मजबूत है।