रिलायंस जियो की प्रति टावर नेटवर्क लागत उसकी प्रतिस्पर्धी भारती एयरटेल के मुकाबले कम है। अलबत्ता भारती एयरटेल द्वारा लागत में तेजी से कटौती करने की वजह से उनके बीच का यह अंतर कम हो रहा है। विश्लेषकों ने यह जानकारी दी है।
ब्रोकरेज फर्म आईआईएफएल सिक्योरिटीज ने एक शोध नोट में कहा कि हालांकि दोनों दूरसंचार कंपनियों की प्रति टावर ऊर्जा लागत घट रही है। लेकिन एयरटेल ज्यादा तेज रफ्तार से लागत घटाने में कामयाब रही है।
इसमें कहा गया है ‘जियो चार साल पहले भारती के मुकाबले प्रति टावर नेटवर्क लागत में 35 प्रतिशत की कमी का लाभ उठाया करती थी जिसमें उपयोग के अधिकार (आरओयू) के मूल्य में कमी और पट्टे की फाइनैंस लागत शामिल थी। अब (वित्त वर्ष 24 में) यह अंतर घटकर सात प्रतिशत रह गया है।’
आरओयू परिसंपत्ति कंपनियों को अनुबंधित पट्टा अवधि के लिए पट्टे पर ली गई वस्तु का इस्तेमाल करने की इजाजत देती है। इसका मूल्य पट्टे की अवधि या अंतर्निहित परिसंपत्ति के उपयोग की कुल अवधि के दौरान कम होता जाता है।
ऊर्जा लागत में गिरावट
वित्त वर्ष 24 में जियो की प्रति टावर ऊर्जा लागत में 10 प्रतिशत की खासी गिरावट देखी गई। एयरटेल के मामले में यह गिरावट 12 प्रतिशत रही। रिपोर्ट में कहा गया है कि एयरटेल जियो के साथ अपने इस लागत अंतर को वित्त वर्ष 20 के 34 प्रतिशत की तुलना में घटाकर केवल चार प्रतिशत पर ले आई है।
वित्त वर्ष 2024 के अंत में जियो के पास अनुमानित रूप से 3,28,750 टावर थे। यह संख्या एयरटेल की औसत टावर संख्या 2,96,620 से अधिक थी। आईआईएफएल सिक्योरिटीज ने कहा कि वित्त वर्ष 23 और वित्त वर्ष 24 की पेशकश के बाद चैनल चेक के आधार पर वित्त वर्ष 24 के अंत में जियो के पास एकल आधार पर 5जी के 1.8 लाख स्थान थे जबकि भारती के पास ऐसे 1.04 लाख स्थान थे।