कच्चे माल के दाम में इजाफे की वजह से टायरों की कीमत बढ़े अभी बमुश्किल एक महीना ही बीता है, लेकिन टायर कंपनियां एक बार फिर दाम में बढ़ोतरी करने के लिए तैयार हो गई हैं।
कच्चे माल में जबरदस्त महंगाई की वजह से मुनाफे पर चोट झेल रही सिएट, जेके टायर्स और एमआरएफ समेत तमाम कंपनियां जल्द ही कीमतों में वृद्धि का ऐलान कर सकती हैं। वाहन मालिकों के लिए परेशानी का सबब यह है कि इस बार कीमतों में इजाफा पिछली बार के मुकाबले कम से कम दोगुनी दर से होगा।
कंपनियां अगले महीने के पहले हफ्ते में ही टायरों के दाम में 6 से 7 फीसद की बढ़ोतरी करने की योजना बना रही हैं। तकरीबन एक महीने पहले इन्हीं कंपनियों ने कीमतों में 2 से 3 फीसद का इजाफा किया था। मजे की बात है कि टायर कपंनियों का यह फैसला उस वक्त आया है, जब वाहन निर्माता भी इसी दिशा में सोच रहे हैं। महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, हुंडई मोटर और डेमलर जैसी कंपनियां भी कच्चे माल की कीमत बढ़ने की वजह से अपने वाहनों के दाम 1 से 3 फीसद बढ़ाने जा रही हैं। ऐसे में टायरों के दाम भी बढ़ने से ग्राहकों पर दोहरी मार पड़ेगी।
सिएट टायर्स के मुख्य वित्तीय अधिकारी के जे राव ने कहा, ‘पिछली बार हमने कीमत में जो इजाफा किया था, उससे कच्चे माल की लागत में हुई बढ़ोतरी के मुताबिक नहीं था। पिछले दो महीनों में समूचे कच्चे माल की लागत बढ़ी है। प्राकृतिक रबड़ पहले 90 रुपये प्रति किलोग्राम थी, अब वह 129 रुपये किग्रा मिल रही है। इससे हमारे लाभ पर भी जबरदस्त चोट पहुंच रही है।’ कंपनियों के लिए मुसीबत यह है कि दाम बढ़ाने के बाद भी कच्चा माल और महंगा हो सकता है।
जे के टायर्स के मार्केटिंग निदेशक ए एस मेहता कहते हैं, ‘हम सारा बोझ ग्राहक पर नहीं डाल सकते क्योंकि बाजार खोने का खतरा है। लेकिन कच्चे माल में इतनी बढ़ोतरी तो पहले कभी नहीं हुई। आने वाले महीनों में भी किसी रहम की हमें उम्मीद नहीं है।’ एक टायर विशेषज्ञ ने कहा, ‘पिछले साल की चौथी तिमाही में जो वित्तीय परिणाम थे, चालू वर्ष की पहली तिमाही में हालात उससे भी बदतर होंगे। ऐसा सभी टायर कंपनियों के साथ होगा क्योंकि बढ़ी लागत को झेलना सभी के लिए मुश्किल हो रहा है।’