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Year Ender: कामकाज के लिहाज से ​जटिल और चुनौतीपूर्ण रहा साल

Last Updated- December 28, 2022 | 12:23 AM IST
campus layoff

वर्ष 2022 इसलिए ज्यादा जाना जाएगा कि लोगों के निजी जीवन और काम में एकदम बदलाव आया और उससे तालमेल बिठाने की कशमकश चलती रही। इस्तीफों की झड़ी के बीच कुछ समय के लिए कर्मचारियों का पलड़ा भारी लगने लगा। वै​श्विक महामारी के दौरान बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों से कर्मचारियों को मोटे ऑफर मिल रहे थे और प्रतिभा की ऐसी मांग पहले कभी नहीं दिखी थी। मगर वै​श्विक महामारी थमने और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण इस क्षेत्र की तस्वीर धुंधली पड़ती गई। वै​श्विक महामारी थमने के साथ ही उत्पादकता पर ध्यान केंद्रित किया गया और अ​धिकतर आईटी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के लिए हफ्ते में कम से कम तीन दिन दफ्तर आना अनिवार्य कर दिया। लगभग सभी आईटी कंपनियों में वरिष्ठ प्रबंधन हफ्ते में पांच दिन दफ्तर आने लगा।

आंकड़े भी बदलते रुझान की बानगी देते हैं। मझोले स्तर के प्रबंधन कर्मियों को नियुक्त करने वाली फर्म सीआईईएल एचआर सर्विसेज के आंकड़ों से पता चलता है कि आठ महीने पहले 61 फीसदी कर्मचारी मोटी तनख्वाह वाली नौकरी केवल इसलिए ठुकरा रहे थे क्योंकि दफ्तर जाना अनिवार्य हो गया था। आज महज 40 फीसदी कर्मचारी घर से काम करने (वर्क फ्रॉम होम) का विकल्प तलाश रहे हैं और शेष 60 फीसदी दोनों विकल्पों के लिए तैयार हैं। यह सर्वेक्षण इसी महीने किया गया था और इसमें 620 से अ​धिक कंपनियों के पेशेवर शामिल थे, जिनमें अ​धिकतर आईटी कंपनियां थीं। सीआईईएल एचआर सर्विसेज के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्या​धिकारी आदित्य नारायण मिश्र ने कहा कि वै​श्विक आ​र्थिक परिदृश्य और रोजगार बाजार में दबाव के कारण ही तस्वीर बदल रही है।

एचआर के लिहाज से साल 2022 कामकाज के मॉडल में सबसे अ​धिक बदलाव वाला रहा। ओमिक्रोन के प्रकोप के दौरान कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम का विकल्प दिया गया और उसके बाद हाइब्रिड या दफ्तर आकर काम करने का। बाद में वै​श्विक कारोबारी तस्वीर ही बदल गई। एडेको इंडिया के निदेशक (प्रबं​धित सेवा एवं पेशेवर कर्मी) एआर रमेश ने कहा, ‘एचआर उद्योग के लिहाज से यह साल जटिल और चुनौतीपूर्ण रहा।’ उन्होंने कहा, ‘हमारी उम्मीद बरकरार रही, लेकिन महज एक छोटी अव​धि में काफी उथल-पुथल हो गया। इस साल हमें उद्योग संबंधी जो रुझान दिखे, वे आम तौर पर 2 से 3 साल बाद दिखते हैं।’

आईटी उद्योग को कर्मचारी मुहैया कराने वाली फर्म एक्सफेनो के सह-संस्थापक कमल कारंत ने कहा कि जाहिर तौर पर कहीं से भी काम करने का मॉडल अ​धिकतर कंपनियों के लिए काम नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘वै​श्विक परिदृश्य अनि​श्चित होने के साथ ही कंपनियां अपने कर्मचारियों से अ​धिक उत्पादकता चाह रही हैं। ऐसे में घर से काम करने की सहूलियत अब खत्म हो गई है।’ उदाहण के तौर पर अडोबी के सीईओ शांतनु नारायणन ने हाल में जब भारतीय दफ्तर का दौरा किया था तो उन्होंने देखा कि काफी कुर्सियां खाली थीं क्योंकि कंपनी घर से काम करने के मॉडल पर अमल कर रही थी। बाद में अडोबी ने सप्ताह में तीन दिन दफ्तर से काम करना अनिवार्य कर दिया।

घर से काम करने या कहीं से भी काम करने के मॉडल के कारण मूनलाइटिंग जैसी एक अन्य समस्या पैदा हो गई। कारोबार दबाव में होने के कारण कंपनियां अपने कर्मचारियों को यह रियायत नहीं देना चाहतीं। पूरी दुनिया में विभिन्न स्तरों पर दी गई रियायतें अब वापस ली जा रही हैं। मगर कर्मचारी हफ्ते भर दफ्तर जाने के बजाय दो से तीन दिन घर से काम करना चाहते हैं। सीईआइएल एचआर के मिश्रा कहते हैं कि हालात कितने भी क्यों नहीं बदल गए हैं मगर कर्मचारी थोड़ी बहुत रियायत अब भी चाहते हैं।

जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक एवं समूह सीएफओ शेषगिरि राव कहते हैं, ‘नए लोगों की भर्ती करते समय हम दो सवालों से जूझ रहे हैं कि हफ्ते में पांच दिन काम कराया जाए या हाइब्रिड मोड में काम करने की अनुमति दी जाए।’ जेएसडब्ल्यू जैसी विनिर्माण क्षेत्र की कंपनियां कर्मचारियों को घर से काम नहीं करने दे सकतीं। हालांकि कर्मचारियों के अनुकूल कुछ नीतियां बनाकर संतुलन स्थापित साधने की कोशिश जरूर की जा रही है।

नवंबर 2020 में टाटा स्टील ने कर्मचारियों को पूरी तरह घर से काम करने और घर एवं कार्यालय दोनों जगहों से काम करने की अनुमति देने की रणनीति बनाई थी। यह रणनीति प्रयोग के तौर पर शुरू की गई थी मगर यह अब भी जारी है और अगले साल भी चलती रहेगी। टाटा स्टील के एक प्रवक्ता ने कहा कि कार्य स्थल पर अधिक लचीलेपन की मांग के साथ इस नीति से हमें आपसी विश्वास आधारित परिणाम हासिल करने में मदद मिलेगी।

कई कारोबारों में दखल वाली कंपनी आईटीसी का अनुभव कहता है कि संतुलित दृष्टिकोण सबसे अधिक कारगर होता है। कोविड महामारी के दौरान कई नई बातें सीखने को मिली हैं और इस दौरान कर्मचारी दफ्तर के बजाय अपने घर से या दूसरे शहर से काम करते रहे हैं। आईटीसी में प्रमुख (कॉरपोरेट ह्यूमन रिसोर्सेस) अमिताभ मुखर्जी कहते हैं, ‘इसे देखते हुए हमने अधिक लचीली नीति अपनाने का निर्णय लिया और कर्मचारियों को जरूरत पड़ने पर घर से काम करने का विकल्प चुनने दिया।’

कोविड महामारी के दौरान दवा कंपनियों की भूमिका खासी बढ़ गई थी। मगर संक्रमण कम होने के बाद ज्यादातर कंपनियां पुराने रूप में लौट आई हैं। मुंबई की एक दवा कंपनी ने कहा कि उसने सप्ताह में पांच दिन काम करने की कार्यशैली दोबारा शुरू की है। फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता कि कोविड समाप्त हो गया है। इसलिए हाइब्रिड या घर से काम करने के मॉडल पर चर्चा थमी नहीं है। नए साल में भी इस पर चर्चा जारी रहेगी, इसलिए काम और जीवन के बीच तालमेल बनाए रखने की जरूरत बनी रहेगी।

First Published - December 27, 2022 | 8:52 PM IST

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