भारत में फ्रेशर नियुक्ति योजनाओं में तेजी आ रही है। जहां फ्रेशरों को नियुक्ति करने का वैश्विक रुझान 6 प्रतिशत पर है, वहीं भारत में यह 17 प्रतिशत है। टीमलीज एडटेक की जुलाई से दिसंबर 2021 की अवधि के लिए ‘करियर आउटलुक रिपोर्ट’ से यह संकेत मिला है कि 17 प्रतिशत नियोक्ता 2021 की दूसरी छमाही में फ्रेशरों को नियुक्त करने को इच्छुक हैं। यह रिपोर्ट विभिन्न 18 क्षेत्रों और 14 शहरों पर केंद्रित है।
महामारी के प्रभाव के बाद भी जो क्षेत्र मुकाबला करने में सक्षम रहे, वे हैं आईटी (31 प्रतिशत), दूरसंचार (25 प्रतिशत) और टेक्नोलॉजी स्टार्टअप (25 प्रतिशत)। अच्छा प्रदर्शन करने वाले अन्य क्षेत्रों में हेल्थकेयर एवं फार्मास्युटिकल (23 प्रतिशत), लॉजिस्टिक्स (23 प्रतिशत) और निर्माण (21 प्रतिशत) भी शामिल हैं। स्थानों के हिसाब से, फ्रेशर नियुक्तियों के लिए प्रमुख शहर हैं बेंगलूरु (43 प्रतिशत), मुंबई (31 प्रतिशत), दिल्ली (27 प्रतिशत), चेन्नई (23 प्रतिशत) और पुणे (21 प्रतिशत)।
टीमलीज एडटेक के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी शांतनु रूज ने कहा, ‘फरवरी से अप्रैल की अवधि के दौरान, करीब 15 प्रतिशत नियोक्ताओं ने फ्रेशयरों को नियुक्त करने में दिलचस्पी दिखाई थी, जिससे इस संबंध में रुझान न सिर्फ मजबूत बने रहने का पता चलता है बल्कि चालू छमाही में स्थिति मजबूत हुई है। नियुक्ति धारणा में सुधार आने से हमें फ्रेशरों के रोजगार का भी ध्यान रखना होगा।’
उन्होंने कहा कि नियोक्ता विशेष कौशल वाले लोगों को नियुक्त करने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं और इस वजह से फ्रेशरों को सक्षम होना जरूरी है। रूज ने कहा, ‘इसमें एचईआई (उच्च शिक्षा संस्थानों) का बड़ा योगदान है। एचईआई को रोजगारों के लिए उद्योग की जरूरतों के हिसाब से अपने पाठ्यक्रम संचालित करने चाहिए, जिससे कि छात्र रोजगार योग्य बन सकें।’
रिपोर्ट के निष्कर्ष में कहा गया है कि विभिन्न क्षेत्रों में जिन कुछ खास जिम्मेदारियों के लिए फ्रेशरों को पसंद किया गया है, उनमें हेल्थकेयर एसिस्टेंट, सेल्स ट्रेनी/एसोसिएट्स, फुल स्टैक डेवलपर, टेलीमार्केटिंग और डिजिटल मार्केटिंग स्पेशलिस्ट शामिल हैं।
टीमलीज एडटेक की अध्यक्ष एवं सह-संस्थापक नीती शर्मा का मानना है कि भारत में रोजगार के मुकाबले रोजगार योग्यता ज्यादा चिंताजनक विषय है।
शर्मा ने कहा, ‘जहां एक तरफ एचईआई को मिश्रित लर्निंग तंत्र पर ध्यान देने की जरूरत होगी, वहीं उन्हें एक ऐसा लर्निंग मॉडल भी तलाशना होगा, जिसमें ऑफसाइट और ऑनसाइट लर्निंग के साथ साथ उद्योग प्रशिक्षण को भी शामिल किया जाए। दूसरी तरफ, नियोक्ताओं को फ्रेशरों को कुशल बनाने के लिए अपनी नियुक्ति एवं प्रशिक्षण रणनीति पर पुनर्विचार करने की भी जरूरत है।’
