एफएमसीजी कंपनियों की बिक्री को ग्रामीण बाजार से झटका

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 9:21 PM IST

रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुएं (एफएमसीजी) बनाने वाली कंपनियों की मांग को खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों से झटका लगा है और इसलिए उनकी मात्रात्मक बिक्री में गिरावट दिख रही है। हालांकि उपभोक्ता कंपनियों द्वारा की गई मूल्य वृद्धि से जिंस कीमतों में तेजी के प्रभाव से निपटने में मदद मिली है। यही कारण है कि मूल्य के मोर्चे पर उद्योग में सकारात्मक वृद्धि दिखी है।
नीलसनआईक्यू द्वारा उद्योग से जुटाए गए आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर से दिसंबर 2021 की अवधि में एफएमसीजी उद्योग की मात्रात्मक बिक्री की वृद्धि में 1.8 फीसदी की गिरावट आई। जबकि मूल्य आधारित बिक्री की वृद्धि एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 9.9 फीसदी रही।
बिज़ोम के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2022 में ग्रामीण बाजार में एफएमसीजी की बिक्री (मूल्य के लिहाज से) में मासिक आधार पर 7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई जबकि शैंपू से लेकर साबुत तक विभिन्न वस्तुओं की शहरी बिक्री 18.3 फीसदी घट गई। इससे भारत की कुल एफएमसीजी बिक्री में 10 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। एफएमसीजी की कुल बिक्री में सालाना आधार पर 9.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। जबकि ग्रामीण वृद्धि पिछले साल जनवरी के मुकाबले 21 फीसदी रही।
शहरी बिक्री में गिरावट के बावजूद कुल मिलाकर वृद्धि दर्ज की गई। जनवरी 2022 के दौरान शहरी बिक्री में सालाना आधार पर 15.6 फीसदी की गिरावट आई।
बिज़ोम के मुख्य वृद्धि एवं अंतरदृष्टि अधिकारी अक्षय डिसूजा ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘घर के बाहर की उपभोक्ता वस्तुओं की खपत में सालाना आधार पर उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई जो वृद्धि एक मुख्य वाहक है। इसे टीकाकरण में तेजी से बल मिला है। छोटे शहरों में जनवरी 2022 में तीसरी लहर के दौरान बिक्री सबसे अधिक प्रभावित हुई क्योंकि स्टॉक के स्तर में काफी गिरावट दर्ज की गई जिससे बिक्री में गिरावट आई।’
बड़े शहरों में बिक्री 13.3 फीसदी घट गई जबकि छोटे शहरों की बिक्री में 27.5 फीसदी की जबरजदस्त गिरावट दर्ज की गई। हालांकि कस्बों में एफएमसीजी उत्पादों की बिक्री में मासिक आधार पर जनवरी 2022 में 7.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।
कंपनियों ने अक्टूबर से दिसंबर 2021 तिमाही के वित्तीय नतीजे जारी करते समय भी ग्रामीण क्षेत्रों में मात्रात्मक बिक्री में गिरावट की बात कही है।
मैरिको के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी सौगत गुप्ता ने वित्तीय नतीजा जारी करने के बाद निवेशकों से बातचीत में कहा, ‘मुद्रास्फीति में तेजी के मद्देनजर ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों के मुकाबले कहीं अधिक नरमी दिख रही है।’
एचयूएल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक संजीव मेहता ने भी निवेशकों से कहा कि मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय तेजी के मद्देनजर उपभोक्ता मांग में गिरावट दिख रही है। उन्होंने कहा कि इससे मात्रात्मक बिक्री और बाजार में गिरावट आई है।

First Published : February 9, 2022 | 11:10 PM IST