खाद्य पदार्थ और रोजाना इस्तेमाल की वस्तुएं बेचने वाली रिटेल शृंखला सुभिक्षा पर भी मंदी का असर नजर आ रहा है।
कंपनी ने कंज्यूमर डयूरेबल्स के लिए नए स्टोर खोलने की अपनी योजना कम से कम छह महीने के लिए टाल दी है। इसके अलावा उसने अपने स्टोर पर ताजे फल और सब्जियां बेचना भी बंद कर दिया है। सुभिक्षा के प्रबंध निदेशक आर सुब्रमण्यम से रिटेल बाजार के हालात और कंपनी की रणनीति के बारे में राघवेंद्र कामत ने बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश :
आपने कंज्यूमर डयूरेबल्स स्टोर खोलने की योजना ठंडे बस्ते में क्यों डाल दी?
हम चार या पांच महीने में ये स्टोर खोलेंगे। इस योजना के लिए हम तकरीबन 20 लाख वर्ग फुट जमीन ले रहे हैं और इस पर हर महीने 10 करोड़ रुपये खर्च किए जाने की योजना है। पिछले तीन-चार महीने से हमारी रियल एस्टेट डेवलपरों से बातचीत चल रही है।
हमें अच्छी कीमत पर जमीन मिल रही थी, लेकिन बाजार गिर रहा है और अगस्त में जो कीमत बताई गई थी, नवंबर के महीने में वह फायदेमंद नहीं है। हमें लगता है कि किराये में अभी 35 से 40 फीसद की गिरावट आएगी। अगर किराये में 20 से 30 फीसद रकम बच जाए, तो उसके लिए इंतजार करने में क्या बुराई है।
लेकिन पहले तो आपने कहा था कि किराये कम हो रहे हैं, इसलिए आप अपने स्टोरों की तादाद बढ़ाएंगे?
विस्तार के मामले में हमें अब भी खासी उम्मीद है। लेकिन हम कीमतों में और गिरावट का इंतजार कर रहे हैं। सच कहें, तो पिछले 45 दिनों में हमने कोई जमीन किराये पर नहीं ली है। कोई भी जमीन नहीं खरीद रहा है क्योंकि किराये अभी कम नहीं हुए हैं। लेकिन किराये में एक न एक दिन कमी तो आनी है, इसलिए हम जनवरी तक इंतजार करेंगे।
आपने अपने स्टोरों पर ताजे फल और सब्जियां बेचना बंद क्यों कर दिया?
इनमें ज्यादा मुनाफा नहीं होता है और हम अपने स्टोर पर खरीदारों को खींचने के लिए उन्हें रखते हैं। दूसरी बात यह है कि ताजे उत्पाद बेचना क्षेत्रीय मसला है। मसलन चेन्नई, पंजाब और पुणे में सब्जियों की खरीदफरोख्त ज्यादा होती है, लेकिन दिल्ली और मुंबई में ऐसा नहीं है। जहां हमें फायदा नहीं हो रहा था, वहां हमने बिक्री बंद कर दी।
क्या आप अपनी कंपनी की कुछ हिस्सेदारी बेच रहे हैं?
नहीं। बिकवाली के लिए यह सबसे खराब वक्त है। छह या नौ महीने बाद शायद हम इस बारे में सोचेंगे। हमें रिटेल में महारत हासिल है और हम ताउम्र इस कारोबार में बने रहेंगे। जो इसे अपना मुख्य कारोबार नहीं मानते हैं, वे एक दिन इसे छोड़कर बाहर निकल जाएंगे।
इस समय नकदी का टोटा है। आपके कारोबार पर इसका असर किस तरह पड़ रहा है?
कारोबारी मुश्किलें तो हैं ही क्योंकि आप विस्तार करना चाहते हैं और बैंक आपको कर्ज नहीं देते हैं। सभी को आगे बढ़ने की अपनी रफ्तार कम करनी पड़ रही है। एक बार आपको पता चल जाए कि कमाई कैसी रहेगी, तो कारोबार की रफ्तार भी उसी के मुताबिक ढल जाती है। सितंबर-अक्टूबर में तो हाल बहुत बुरा था, लेकिन अब कुछ राहत है। अभी हम दो या तीन महीने इंतजार करेंगे।
क्या आप कुछ स्टोरों को बंद कर रहे हैं या दूसरी जगह ले जा रहे हैं? क्या कर्मचारियों की तादाद कम करने की भी आपकी योजना है?
जब आपके पास 1,500 स्टोर हों, तो काफी कुछ सोचना पड़ता है। अगर हम जमीन का किराया 40 रुपये प्रति वर्गफुट दे रहे हैं और कहीं 30 रुपये वर्गफुट में ही जमीन मिलेगी, तो हम बेशक स्टोर वहां ले जाएंगे। जहां तक लागत की बात है, तो हमारे मॉडल की लागत पहले से ही कम है, इसलिए छंटनी का इरादा नहीं।