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स्टार्टअप बंद होने का सिलसिला घटा मगर खतरा नहीं हटा

निवेशकों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में स्टार्टअप बंद होने का सिलसिला सफाई करने के लिए जरूरी था और फर्मों के संस्थापक अब अपने कामकाज का गणित सुधारने में लग गए हैं।

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आर्यमन गुप्ता   
Last Updated- July 07, 2024 | 9:54 PM IST

पिछले हफ्ते कामकाज समेटने के साथ ही देसी माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म कू स्टार्टअप के ‘डेड पूल’ (कारोबार समेटने वाले) में शामिल होने वाली नवीनतम कंपनी है। मगर स्टार्टअप बंद होने का सिलसिला इस साल 99.8 फीसदी कम हो गया है।

निवेशकों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में स्टार्टअप बंद होने का सिलसिला सफाई करने के लिए जरूरी था और फर्मों के संस्थापक अब अपने कामकाज का गणित सुधारने में लग गए हैं। मगर स्टार्टअप की दुनिया अभी संकट से पूरी तरह बाहर नहीं निकली है क्योंकि ‘जॉम्बी’ स्टार्टअप नया खतरा बन रही हैं। जॉम्बी स्टार्टअप वह होती है, जिसे चलाने के लिए पैसा बहुत लगता है मगर आमदनी बेहद कम होती है।

एक प्रमुख निवेशक ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘संस्थापकों को तय करना होगा कि उनका कारोबारी मॉडल पहले दिन से ही कारगर हो। दूसरे के कारोबारी मॉडल की ‘नकल’ करके बनाई गई कू जैसी कंपनियों के पास कुछ अलग नहीं है और ऐसी कंपनियां भारत जैसे बाजार में नहीं टिक सकतीं। बाजार बहुत बेरहम होता है और उसे आलस बरदाश्त नहीं।’ कू के अलावा निकी, जिपगो, फ्रंटरो और ग्रामफैक्टरी जैसी स्टार्टअप भी पिछले साल बंद हो गईं।

ठप होने वाली कंपनियों की संख्या घटी

मार्केट इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म ट्रैक्शन के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में वृहद आ​र्थिक चुनौतियों के मद्देनजर करीबन 5,868 स्टार्टअप पर ताला लग गया था। मगर 2023 में ठप होने वाली कंपनियों की संख्या घटकर 1,720 रह गई और 2024 में अभी तक महज 4 कंपनियों को अपना कारोबार समेटना पड़ा है।

निवेशकों के अनुसार स्टार्टअप को पूंजी मिलने में दिक्कत देखकर संस्थापकों ने खर्च कम करने के उपाय किए, जिससे कई फर्में कारोबार बंद करने से बच गईं। वेंचर कैपिटल फर्म 8आई वेंचर्स के संस्थापक पार्टनर विक्रम चाचरा ने कहा, ‘पिछले एक साल में हमने देखा है कि कई कंपनियां मुनाफा मार्जिन के फेर में आय बढ़ाने पर ध्यान देना छोड़ देते हैं। आरं​भिक सार्वजनिक निर्गम की मजबूत संभावनाओं को देखते हुए संस्थापक मुनाफा कमाने पर ध्यान दे रहे हैं।’

ट्रैक्शन के अनुसार 2022 से लगातार चार साल तक स्टार्टअप कंपनियों के लिए पूंजी जुटाना मुश्किल रहा मगर अब उन्हें एक बार फिर पूंजी मिलने लगी है। 2024 की पहली छमाही में स्टार्टअप को मिलने वाली रकम अब भी 2023 की पहली छमाही से 13 फीसदी कम है मगर स्टार्टअप फर्मों ने इस दौरान 4.1 अरब डॉलर निवेश जुटाया है, जो 2023 की दूसरी छमाही के 3.96 अरब डॉलर से 4 फीसदी अधिक है।

इस बीच स्टार्टअप में छंटनी भी पिछले साल की तुलना में 62 फीसदी घट गई है। 2024 के पहले 5 महीनों में 3,600 कर्मचारियों की ही नौकरी गईं, जबकि पिछले साल इस अव​धि में 9,596 लोगों को नौकरियां गंवानी पड़ी थी। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने इस बारे में पहले खबर प्रका​शित की थी।

पैसे झोंकने वाली स्टार्टअप की समस्या

स्टार्टअप के संस्थापक अब ज्यादा कुशल हो गए हैं मगर अब भी कई कंपनियों को चलाने के लिए बहुत पैसा झोंका जा रहा है। ऐसी कंपनियों का बोरिया बिस्तर सिमटने का खतरा बना हुआ है।

First Published : July 7, 2024 | 9:54 PM IST