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बिज़नेस स्टैंडर्ड
  कंपनियां  ‘वित्त वर्ष 2021 के अंत तक दो अंकों में लौट आएगी वृद्धि दर’
कंपनियां

‘वित्त वर्ष 2021 के अंत तक दो अंकों में लौट आएगी वृद्धि दर’

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता —December 2, 2020 11:10 PM IST
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बीएस बातचीत
कोविड-19 महामारी ने ग्राहक व्यवहार में कई बदलाव कर दिए हैं जिससे सुरक्षा का भरोसा देने वाले तथा एन्युटी उत्पादों की मांग में उछाल आई है। भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के अध्यक्ष एम.आर. कुमार का कहना है कि बैंक की ब्याज दरों में गिरावट के कारण आने वाले वर्षों में एन्युटी उत्पादों की मांग में और तेजी आएगी। सुब्रत पांडा के साथ बातचीत में कुमार ने एन्युटी उत्पादों के अच्छे प्रदर्शन, एलआईसी द्वारा ग्राहकों पर ध्यान तथा इक्विटी निवेश से कंपनी के मुनाफे आदि विभिन्न विषयों पर बात की। संपादित अंश:
पहली तिमाही की तुलना में दूसरी तिमाही जीवन बीमाकर्ताओं के लिए बेहतर थी। वृद्धि दर के मामले में वित्त वर्ष 2020-21 के अंत तक जीवन बीमा उद्योग को कहां देखते हैं?
लॉकडाउन के दौरान लगभग स्थिर हो चुकी आर्थिक गतिविधियों में अनलॉक के बाद गति आनी शुरू हुई। अर्थव्यवस्था में तेजी देखी जाने लगी और दूसरी तिमाही में जीवन बीमाकर्ताओं के प्रदर्शन में तेजी देखी गई। महामारी ने जीवन बीमा के महत्त्व पर प्रकाश डाला है। यह लंबी अवधि में हमारी अर्थव्यवस्था की नई वास्तविकता का एक अनिवार्य हिस्सा बन सकता है। हम उम्मीद करते हैं कि जीवन बीमा कारोबार चालू वित्त वर्ष के बाकी दिनों में लगातार बढ़ता रहेगा। डिजिटल नवाचारों और नवीन पहलों के साथ हम वित्त वर्ष 2021 के अंत कर दो अंकों की वृद्धि पर पहुंचने के लिए आश्वस्त हैं।

इस समय कौन से उत्पाद खंड बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं?
इस समय ग्राहक बेहतर सुरक्षा उत्पादों के साथ साथ एक नियमित आय देने वाले उत्पादों की ओर झुकाव दिखा रहे हैं। यह जागरूकता टर्म इंश्योरेंस और एन्युटी उत्पादों की अधिक मांग के कारण आई है। एन्युटी खंड हमेशा अच्छा प्रदर्शन करता रहा है। अगर सही तरीके से योजना न बनाई जाए तो बढ़ती जीवन प्रत्याशा से वित्तीय जोखिम का खतरा बन जाता है। असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाली अधिकांश आबादी के बीच एन्युटी उत्पादों की मांग बढ़ी है और आने वाले समय में बैंक ब्याज दरों में गिरावट से इसमें और तेजी आने की उम्मीद है। महामारी ने बीमा पॉलिसियों को लोकप्रिय बना दिया है। हमारा टर्म इंश्योरेंस उत्पाद प्रतिस्पर्धी मूल्य पर उपलब्ध है, जो इसे बहुत ही आकर्षक बनाता है।

बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण स्टैंडर्ड टर्म प्रोडक्ट पर आपका क्या विचार है?
अलग-अलग नियमों एवं शर्तों के साथ बाजार में उपलब्ध विभिन्न टर्म उत्पादों के कारण ग्राहकों के बेहतर निर्णय लेने में कठिनाई होती है। एक मानकीकृत टर्म बीमा पॉलिसी से निर्णय लेने की प्रक्रिया में आसानी होगी। इसके अलावा, बाजार में उपलब्ध अधिकांश उत्पादों में न्यूनतम बीमित राशि अधिक है। मानकीय टर्म बीमा उत्पादों में न्यूनतम 5 लाख रुपये की राशि वित्तीय समावेशन में मदद करेगी।  

इक्विटी निवेश से कितना लाभ हुआ?
वित्त वर्ष 2021 में अक्टूबर तक एलआईसी ने इक्विटी की बिक्री के माध्यम से 18,800 करोड़ रुपये का लाभ कमाया है। वित्त वर्ष 2019-20 में एलआईसी को इक्विटी की बिक्री के माध्यम से कुल 18,400 करोड़ रुपये का लाभ हुआ था। वित्त वर्ष 2021 में कुल इक्विटी निवेश निगम के साथ उपलब्ध निवेश योग्य अधिशेष पर निर्भर करेगा। अक्टूबर तक, एलआईसी ने इक्विटी बाजार में 55,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान यह राशि 32,800 करोड़ रुपये थी।  

क्या एलआईसी के ऋण पोर्टफोलियो में किसी तरह का तनाव है?
अभी तक हमारे ऋण पोर्टफोलियो में कोई तनाव नहीं है। हमारे पास एक समर्पित निगरानी प्रणाली है और हम सभी निवेशों पर नजर बनाए हुए हैं।

एलआईसी ने पिछले कुछ वर्षों में मिलेनियल्स पर काफी ध्यान दिया है। उनके लिए क्या रणनीति है?
यह पीढ़ी कही अधिक स्वतंत्रता के साथ निर्णय लेती है। यह खुशी की बात है कि बीमा खरीदने के लिए उन्हें जोर देने की आवश्यकता नहीं है। इसका कारण चाहे इंटरनेट के माध्यम से उनके पास उपलब्ध संपूर्ण जानकारी हो या मीडिया के माध्यम से बनाई गई जागरूकता, लेकिन यह पीढ़ी जीवन बीमा के महत्त्व को समझती है। वित्त वर्ष 2021 में बेची गई लगभग 50 प्रतिशत बीमा पॉलिसी उन्होंने ही लीं। हमारे पास ऐसे उत्पाद हैं जो सभी स्तर पर मिलेनियल्स की आवश्यकताओं के अनुरूप हैं, जिसमें बीमा एवं स्वास्थ्य से लेकर बचत तथा एन्युटी योजनाएं तक शामिल हैं। हमने अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को और सुव्यवस्थित किया है जहां ग्राहक ऑनलाइन भुगतान, ऑनलाइन पॉलिसी संबंधी कर्ज के लिए आवेदन  और ऑनलाइन पता बदल सकते हैं। यूलिप एवं एन्युटी उत्पाद ऑनलाइन खरीदे जा सकते हैं।

वित्त वर्ष 2021 में आईपीओ पूरा करने के लिए आप कितने आशान्वित हैं?
भारत सरकार और निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग एलआईसी के आईपीओ संबंधी पहलुओं की देखरेख कर रहे हैं। इसलिए इस पर कोई टिप्पणी करना उचित नहीं है।

क्या आपको लगता है कि प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण के साथ, एलआईसी अपनी एजेंट संख्या को कम करने पर ध्यान देगी?
आज तक भी एलआईसी के नए कारोबारों का अधिकांश हिस्सा हमारे बंधे हुए एजेंटों द्वारा लाया जाता है। इसलिए, इस डिजिटल यात्रा में एलआईसी अपने फील्ड कर्मियों को साथ ले जाने का प्रयास करेगी। हम कर्मियों को तकनीकी लाभ से जुड़ी शिक्षा देने और उन्हें ग्राहकों के घरों पर बिक्री तथा सेवा कार्य उपलब्ध कराने को लेकर और सशक्त बनाएंगे। डिजिटलीकरण की प्रक्रिया से खतरा महसूस करने के बजाय वे किसी भी समय और कहीं भी अपनी क्षमता के जरिये ग्राहकों को बेहतर लाभ उपलब्ध कराएंगे जिससे लागत एवं समय की बचत होगी।

आईडीबीआई बैंक के लिए एलआईसी की अग्रिम योजना क्या है?
यह नोट करना खुशी की बात है कि आईडीबीआई बैंक एक बार फिर लाभ की स्थिति में लौट आया है। बैंक ने लगातार तीन तिमाहियों में लाभ दर्ज किया है। आईडीबीआई बैंक थोड़े समय के भीतर एलआईसी का सबसे अच्छा साझेदार बन गया है। आईआरडीए (निवेश) नियमन 2016 के तहत एलआईसी इरडा द्वारा निर्धारित अवधि में आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी कम करेगी।

क्या महामारी के कारण एलआईसी का दृढ़ता अनुपात कम हो गया है?
वार्षिक प्रीमियम के लिए हमारा 13 महीने का दृढ़ता अनुपात जून 2019 को समाप्त तिमाही में 72 प्रतिशत था जबकि जून 2020 की तिमाही के लिए यह 70 प्रतिशत था। 61 वें महीने के लिए, जून 2019 तिमाही का दृढ़ता अनुपात 52 प्रतिशत था, जबकि इस साल जून तिमाही में यह 53 प्रतिशत था। नीतियों की संख्या में भी बहुत ज्यादा अंतर नहीं था। 61 वें महीने के लिए, यह दोनों वर्षों के लिए 43 प्रतिशत रहा। 13 महीने के हिसाब से यह जून 2019 तिमाही में 62 फीसदी और जून 2020 तिमाही में 59 फीसदी था।

अब तक परिपक्वता दावों और मृत्यु दावों के संदर्भ में एलआईसी ने कितना भुगतान किया है? साथ ही, आपने कितने कोविड दावों का निपटान किया है?
अक्टूबर-अंत तक, हमने 49,331.22 करोड़ रुपये की राशि के लिए 97.5 लाख परिपक्वता दावों का निपटान किया है। वहीं, समान अवधि में लगभग 4,50,000 मृत्यु दावों की 8,361.92 करोड़ रुपये की राशि का निपटान हुआ है। 4 नवंबर तक कोविड संबंधी मृत्यु के 70.53 करोड़ रुपये के 771 दावों का निपटान किया है।

क्या कोविड-19 की वजह से बीमा एक आवश्यक उत्पाद बन गया है?
नियामक, सरकार एवं जीवन बीमा कंपनियों के सामूहिक प्रयास के कारण भारत में जीवन बीमा के बारे में उपभोक्ता जागरूकता बढ़ी है, लेकिन हमें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। महामारी ने लोगों को जीवन बीमा के महत्त्व के बारे में जागरूक किया है और इससे अंतत: आम आदमी को लाभ पहुंचेगा।

एम आर कुमारएलआईसीजीवन बीमा निगमब्याज दरवृद्धि दर
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