जीवन साथी चुनना हो तो ज्यादतर भारतीय अब भी परंपरागत तरीके ही अपनाते हैं। इसलिए ताज्जुब नहीं कि से देश में कम से कम 90 प्रतिशत रिश्ते परिवार के बड़े-बुजुर्ग ही तय करते हैं। भारत में तलाक की दर भी दूसरे देशों से कम है। ऐसे में यह अतिशयोक्ति नहीं होगी कि डेटिंग ऐप्लिकेशन भारत के लिए अब भी नई चीज है। डेटिंग ऐप थोड़ी बहुत चल भी रही हैं तो बड़े शहरों में।
डेटिंग ऐप कंपनियों से जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार छोटे शहरों में लोग शाम के समय घर से बाहर रहने या किसी के साथ बाहर रात गुजारने के बजाय दोस्ती करना पसंद करते हैं। अगर डेटिंग ऐप की मदद से बने मित्र दूर भी रहते हैं तो उन्हें रत्ती भर फर्क नहीं पड़ता। ऐसे लोग उम्रदराज होते हैं और ऐप का सबस्क्रिप्शन लेने के लिए पैसे खर्च करने को भी तैयार रहते हैं। कुछ लोगों खासकर पुरुषों को महिलाओं से बात करने के लिए क्रैश कोर्स की भी जरूरत पड़ सकती है।
देसी डेटिंग ऐप इन बातों का फायदा उठाकर टिंडर और बंबल जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को टक्कर दे रही हैं। इन दोनों बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने देश के महानगरों में तो अपना दबदबा बनाया है मगर क्वैक्वैक (QuackQuack), ट्रुलीमैडली (TrulyMadly) और आइल (Aisle) जैसे देसी ऐप देश के छोटे शहरों में तेजी से बढ़ रहे इंटरनेट उपभोक्ताओं को लपक रहे हैं। ये ऐप विज्ञापन के बजाय सबस्क्रिप्शन से कमाई के भरोसे आगे बढ़ रहे हैं।
डेटिंग ऐप का कारोबार बढ़ता जा रहा है। भारतीय उपभोक्ताओं ने 2022 में डेटिंग एवं फ्रेंडशिप ऐप पर 1 करोड़ डॉलर फूंक दिए। कोविड महामारी के दौरान 2021 में इन ऐप पर किए गए खर्च की तुलना में यह रकम दोगुनी है। कोविड महामारी के दौरान ऑनलाइन डेटिंग का बाजार काफी गरम हो गया था। डेटा डॉट एआई इंटेलिजेंस के अनुसार सोशल मीडिया और डेटिंग 2022 में सबसे बड़ा कारोबारी खंड साबित हुआ। इस दौरान इस कारोबार में 3.1 करोड़ डॉलर का इजाफा हुआ। दूसरे सबसे बड़े खंड यूटिलिटी ऐंड प्रोडक्टिविटी का कारोबार महज 72 लाख डॉलर बढ़ा।
ट्रूलीमैडली (TrulyMadly) के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी स्नेहिल खानोर ने कहा, ‘बड़े शहरों में लोग अपने आस-पास के लोगों के साथ रिश्ता जोड़ने को ज्यादा तवज्जो देते हैं मगर छोटे शहरों के साथ ऐसी बात नहीं है। उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि जिससे वे रिश्ता जोड़ना चाहते हैं, वह कहां रहता है।’
क्वैकक्वैक (QuackQuack) के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी रवि मित्तल भी कहते हैं, ‘छोटे शहरों का दायरा बड़ा नहीं होता है और इन ऐप का इस्तेमाल करने वाले लोग भी अधिक नहीं होते हैं। इसके साथ ही किसी के साथ डेट पर जाने की गुंजाइश भी कम ही रहती है। इसलिए उन्हें देश के किसी भी कोने में रहने वाले लोगों से जुड़ने में कोई दिक्कत नहीं होती।’
डेटिंग ऐप का कारोबार इस बात पर भी निर्भर करता है कि किस उम्र के लोग उनका इस्तेमाल कर रहे हैं। उम्रदराज उपयोगकर्ता की माली हालत ज्यादा मजबूत होती है और वे सबस्क्रिप्शन के लिए खर्च करने को तैयार रहते हैं। खानोर कहते हैं, ‘उपयोगकर्ताओं की औसत उम्र 26 वर्ष और इससे अधिक होती है।’
सबस्क्रिप्शन का एक फायदा यह भी है कि इससे छिछोरे किस्म के लोग दूर हो जाते हैं। छोटे शहरों के लोगों को आकर्षित करने के लिए विश्वास काफी मायने रखता है।
गंभीर उपयोगकर्ताओं को बनाए रखने के लिए सबस्क्रिप्शन ही एकमात्र जरिया नहीं है। TrulyMadly पर यूजर्स को अपना आधार क्रमांक देना पड़ता है या किसी अन्य तरीके से सत्यापन करना होता है।