रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) ने भारत और दुनिया के कई अन्य देशों में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI), 6जी और 5जी जैसे अत्याधुनिक तकनीकी क्षेत्रों में 3,000 से ज्यादा पेटेंट दाखिल किए हैं। वर्तमान में यह हर सप्ताह 100 की दर है। इस घटनाक्रम से वाकिफ सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
रिलायंस ने भारत के साथ-साथ अमेरिका, कनाडा, यूरोप, एस्टोनिया, दक्षिण कोरिया और दक्षिण अमेरिका जैसे देशों में भी पेटेंट दाखिल किए हैं। यह सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के अनुरूप बौद्धिक संपदा अधिकारों का स्वामित्व हासिल करने और किफायती कीमतों पर अभिनव उत्पाद और सेवाएं विकसित करने की दिशा में बड़ा कदम है।
उनके पेटेंट में बेशुमार क्षेत्र शामिल हैं। इनमें नैरो बैंड आईओटी, एआई लार्ज लैंग्वेज मॉडल, एआई डीप लर्निंग, बिग डेटा, उपकरण तथा 6जी क्वांटम एआई शामिल हैं। मार्च 2023 तक जियो को 331 पेटेंट मंजूर किए गए थे। हालांकि कंपनी के प्रवक्ता ने अपनी योजना पर टिप्पणी से इनकार कर दिया।
6जी में पहले से ही वैश्विक स्तर पर इस बात की दौड़ चल रही है कि कौन-सा देश ज्यादा पेटेंट हासिल कर सकता है जो उन्हें नई तकनीक के लिए मानकों की स्थापना को प्रभावित करने में मदद करेंगे। 6जी में रिलायंस पहले ही 200 से ज्यादा पेटेंट दाखिल कर चुकी है। 5जी को मिलाकर उसके पास 350 से ज्यादा पेटेंट हैं जो पहले ही दाखिल किए जा चुके हैं।
भारत पहले से ही 6जी के पेटेंट क्षेत्र में प्रमुख देश है। पिछले साल अप्रैल में ब्रिटेन की यू स्विच द्वारा किए गए अध्ययन में भारत को 6जी के कुल 265 पेटेंट के साथ वैश्विक स्तर पर प्रमुख चार देशों में शामिल किया गया था। चीन (4,604 पेटेंट) अमेरिका (2,229 पेटेंट) और दक्षिण कोरिया (760 पेटेंट) के बाद भारत का स्थान रहा। 5जी प्रौद्योगिकी मानक निर्धारण में पीछे रहने के बाद भारत अब 6जी में नेतृत्व की भूमिका निभाना चाहता है।
अपने उद्देश्यों के लिए रिलायंस ने सहयोग के आधार पर अनुसंधान एवं विकास (R&D) के लिए दुनिया भर के शोध संस्थानों के साथ करार भी किया है। रिलायंस जियो की एस्टोनिया इकाई ने होलोग्राफिक बीन फॉर्मिंग, साइबर सुरक्षा में 3डी कनेक्टेड इंटेलिजेंस, माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में 6जी में खोज के लिए फिनलैंड के ओउलू विश्वविद्यालय के साथ करार किया है। इसने भारत में आईआईटी संस्थानों के साथ भी अनुसंधान के लिए गठजोड़ किया है।