क्या आपको लगता है कि भारत का प्रौद्योगिकी उद्योग वित्त वर्ष की शुरुआत में अनुमान लगाए गए 300 अरब डॉलर के आंकड़े को छू पाएगा? इसके अलावा, 2026 में व्यवसाय प्रक्रिया प्रबंधन (बीपीएम) उद्योग में क्या बदलाव आ सकते हैं?
हमें उम्मीद है कि हम इस लक्ष्य तक पहुंच जाएंगे। मगर हम देख रहे हैं कि सेवाओं में नरमी आई है। व्यापक भू-राजनीतिक पहलुओं और जिस तरह से वैश्विक पुनर्गठन हुए हैं, उन्हें देखते हुए यह लक्ष्य थोड़ा अनिश्चित लगता है। मगर वैश्विक दक्षता केंद्र (जीसीसी) और इंजीनियरिंग अनुसंधान एवं विकास (ईआरऐंडडी) सेक्टर इस मंदी के अनुकूल होंगे।
मुझे लगता है कि बीपीएम उद्योग में दमदार मजबूती आएगी क्योंकि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के बढ़ती पैठ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसका मतलब है कि उद्योग को एआई के क्षेत्र में अप-स्किल करना निश्चित रूप से एक बड़ा फोकस है। जितने ज्यादा लोग एआई के क्षेत्र में अप-स्किल होंगे, उतनी ही ज्यादा परियोजनाएं हम कवर कर पाएंगे और जैसे-जैसे हम उत्पाद तैयार करेंगे अंततः बीपीओ को ही इसका वास्तविक उपयोग करना होगा। इसलिए अप-स्किलिंग इस अंतर को पाट देगी।
क्या आपको लगता है कि पिछले 12 महीनों में उद्यम स्तर पर एआई को अपनाने की दर बढ़ी है और आप अगले साल इसे कैसे विकसित होते हुए देखती हैं?
एसएपी लैब्स के लिए हम अपने ग्राहकों के लिए केंद्रित हस्तक्षेप करते हैं और साथ ही अपने कारोबार में एआई को शामिल करते हैं। उदाहरण के लिए, लीड-टू-कैश प्रक्रिया, एक संपूर्ण कार्यबल प्रबंधन प्रक्रिया या हमारा अनुभव केंद्र, जहां हमारे सभी पोर्टफोलियो में एआई है जो प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में एजेंटों के जरिये विभिन्न व्यक्तियों की मदद करता है।
जब हम उन सफलता की कहानियों पर गौर करते हैं जहां ग्राहक सफल होते हैं, तो यह वह जगह होती है जहां उन्हें अपने डेटा की अच्छी समझ होती है क्योंकि एआई उतना ही बुद्धिमान होता है जितना डेटा और यही वह समय भी है जब हम डेटा सेट को देख पाते हैं और अपने मॉडलों को अच्छे से परिभाषित करने के वास्ते डेटा सेट पर प्रशिक्षित कर पाते हैं ताकि यह सफल एआई परियोजनाओं में साथ-साथ चले।
ग्राहकों के लिए उत्पादकता लाभ को 20 से बढ़ाकर 40 फीसदी करने का लक्ष्य रखा गया था। प्रगति कैसी रही है?
यह कई मोर्चों पर है। उदाहरण के लिए, ग्राहक और डेवलपर दोनों पक्षों पर। यहीं पर डेवलपर्स और सलाहकारों के लिए जूल जैसे हमारे समाधान काम आते हैं। सलाहकारों के लिए जूल में हमने एआई को-पायलट को 3,00,000 से अधिक लेखों के साथ प्रशिक्षित किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एक परामर्श परियोजना में होने के नाते आप ग्राहक को कार्य के दायरे के आधार पर सही कार्य के लिए मार्गदर्शन करने में सक्षम हों, जिससे उत्पादकता बढ़े। इस वर्ष हमारा लक्ष्य हमारे पोर्टफोलियो में एजेंटों की संख्या बढ़ाना भी था, जिससे हमारी उत्पादकता में वृद्धि हुई। मगर आज जूल एक सुपर-एजेंट है। हमारे पोर्टफोलियो में 100 से अधिक एजेंट हैं जबकि एक साल पहले केवल 20 ही थे और उनमें से 80 फीसदी भारत से आ रहे हैं और हम एजेंटों को केवल डिजिटल सहायक के रूप में नहीं, बल्कि आभासी सहकर्मी के रूप में भी देख रहे हैं।