दिग्गज इस्पात कंपनी टाटा स्टील 2500 करोड़ रुपये की अपनी टाइटेनियम डाइऑक्साइड परियोजना स्थापित करने के लिए किसी और जगह की तलाश कर सकती है।
कंपनी यह परियोजना तमिलनाडु के तूतीकोरिन इलाके में लगाना चाहती थी। लेकिन इस बारे में तमिलनाडु सरकार के साथ समझौते पर दस्तखत किए हुए कंपनी को एक साल बीत चुका है, लेकिन उसे खनन क्षेत्र मुहैया नहीं कराया गया है जिसकी वजह से परियोजना बीच में ही लटकी हुई है।
टाटा स्टील के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि टाटा जैसा बड़ा समूह इस परियोजना को ज्यादा समय तक नहीं लटकाएगा। उन्होंने कहा, ‘हम कुछ और इंतजार करेंगे। पहले इस बारे में राज्य सरकार से बातचीत की जाएगी।’ उन्होंने यह इशारा भी किया कि तूतीकोरिन में कंपनी को जिस तरह की खदान पसंद आई थी, वैसी खदान उड़ीसा और आंध्र प्रदेश में भी है।
अधिकारी ने बताया, ‘हमने इस परियोजना के लिए काफी इंतजार किया क्योंकि हम तमिलनाडु सरकार के साथ किए गए समझौते को अहमियत देते हैं।’ यह पहला मौका नहीं है जब इस्पात कंपनी ने परियोजना कहीं और लगाने का संकेत दिया है। टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक ने कुछ महीने पहले भी चेन्नई मीडिया यह संकेत दिया था कि अभी वह उचित समय का इंतजार करेंगे और वक्त आने पर दूसरी जगह तलाशी जाएगी।
वैसे शुरू में कंपनी को स्थानीय लोगों का विरोध भी झेलना पड़ा था। लोगों ने टाटा स्टील पर खनन के इरादे से कृषि भूमि के अधिग्रहण करने की कोशिश का इल्जाम भी लगाया था। कंपनी अब भूमि अधिग्रहण को लेकर मुश्किलों का सामना कर रही है।
कंपनी को एक जगह भूमि हासिल करने के लिए सैकड़ों मालिकों को मनाने की जरूरत है। टाटा स्टील के इस अधिकारी ने बताया, ‘हमें सही हक की जरूरत है और इसे पाने के लिए प्रत्येक भूमि मालिक से संपर्क कायम करने में हमें परेशानी हो रही है।’ उन्होंने कहा, ‘हम 100 एकड़ भूमि खरीदते हैं तो कई अन्य भूमि मालिक कीमत बढ़ा सकते हैं। एक साल से विलंब के कारण परियोजना लागत भी बढ़ी है।’