कोविड-19 के कारण देशव्यापी लॉकडाउन और संक्रमण की आशंका के कारण बाहर निकलने में ग्राहकों की अनिच्छा के मद्देनजर देश की सबसे पुरानी इस्पात कंपनी टाटा स्टील ने अपनी बिक्री एवं विपणन रणनीति पर नए सिरे से गौर करने पर जोर दिया है। इसे ध्यान में रखते हुए कंपनी ने पूरे देश को न केवल जिलों में बल्कि क्षेत्रों में बांटा है ताकि बिक्री को रफ्तार दी जा सके।
टाटा स्टील के उपाध्यक्ष (बिक्री एवं विपणन) पीयूष गुप्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हमने देश को न केवल जिलों में बल्कि क्षेत्रों में बांटा है और हमने उसी के अनुरूप सीमित संख्या में बिक्री कर्मियों को तैनात किया है।’ केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के चार चरणों के दौरान देश को रेड जोन, ऑरेंज जोन और ग्रीन जोन में बांटा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन का आदेश दिया था जिसमें मई के अंत तक काफी छूट दी गई थी। उसके बाद अनलॉकिंग की प्रक्रिया शुरू की गई लेकिन कुछ राज्यों में लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध अब भी जारी है।
गुप्ता ने कहा, ‘अप्रैल, मई और जून में लॉकडाउन की शुरुआती चरण के दौरान बिक्री के लिए हमारे प्रयास उन्हीं जोन से संबंधित थे जिन्हें सरकार इस्तेमाल करने के लिए कहती थी। उसके बाद हम अपने डीलरों को संबंधित जोन में गतिविधियां सुचारु करने और सामग्री की आपूर्ति करने के लिए कहते थे।’
कंपनी ने अपने बाजार को समझने के लिए एनालिटिक्स और डेटा का उपयोग किया। गुप्ता ने कहा कि इससे बाजार को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिली। उन्होंने कहा, ‘हमें जिस सबसे बड़े बदलाव का सामना करना पड़ा, वह यह था कि हम फेसलेस हो गए थे और लेनदेन दूरी बनाए रखते हुए करना था। सभी गतिविधियों, लॉजिस्टिक्स, आपूर्ति शृंखला, उत्पादन और लेखा सहित वाणिज्यिक क्षेत्रों को फेसलेस तरीके से निपटाना था।’
इस कदम से वास्तव में कारोबार में एक तरीके से ठहराव आ गया जिससे विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली कंपनियों का राजस्व प्रभावित हुआ। उन्हें श्रमिकों की किल्लत और आपूर्ति शृंखला में बाधा जैसी समस्याओं से जूझना पड़ा। टाटा स्टील के पास देश भर में 125 से अधिक पॉइंट हैं जहां कंपनी लेनदेन कर सकती है। कंपनी को 125 वितरण केंद्रों के अलावा सभी 27 स्टॉकयार्डों को सक्षम करना था क्योंकि ग्राहक वहां तक आने में असमर्थ थे। टाटा स्टील इंडिया ने जून तिमाही में 9,145 करोड़ रुपये की शुद्ध बिक्री दर्ज की जो पिछले साल की समान अवधि में हुई बिक्री के मुकाबले 58 फीसदी कम है।