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देश में विद्युत लागत सबसे कम बनाए रखने का लक्ष्य

Last Updated- December 12, 2022 | 3:13 AM IST

जेएसडब्ल्यू एनर्जी अपनी इकाइयों से बेचनी जाने वाली बिजली की दरें अपने प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले कम बनाए रखने पर जोर दे रही है। इसके अलावा, कंपनी ने ताप विद्युत में लंबे समय तक निवेश नहीं करने का भी निर्णय लिया है और वह लागत कम बनाए रखने के प्रयास में अपनी अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए कई ऋण वित्त पोषण विकल्पों को तलाशेगी।
जेएसडब्ल्यू ने वित्त वर्ष 2021 के दौरान डिस्कॉम से अपने बकाया में भी 38 प्रतिशत की कमी दर्ज की। राज्य मेरिट ऑर्डर के अनुसार बिजली खरीदते हैं, जिसकी गणना उपलब्ध सस्ती बिजली पर आधारित होती है। जहां आयातित कोयले की लागत पिछले वित्त वर्ष के दौरान बढ़ी, वहीं कंपनी का कहना है कि उसने आयातित कोयला आधारित बिजली की आपूर्ति नहीं की है। बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में जेएसडब्ल्यू एनर्जी के प्रबंध निदेशक प्रशांत जैन ने कहा कि उनका बकाया घटकर तीन वर्ष के निचले स्तर पर रह गया है। उन्होंने कहा, ‘हमारे जैसे कम लागत वाले विद्युत उत्पादक बकाया भुगतान के संदर्भ में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। हम आयातित कोयले से डिस्कॉम को बिजली नहीं बेचते हैं, चाहे यह घरेलू कोयला हो या हाइड्रो। आयातित कोयला आधारित बिजली की आपूर्ति सिर्फ सामूहिक निजी उपभोक्ताओं को की जाती है, जो उस लागत को वहन कर सकते हैं।’ 
पिछले कुछ महीनों में आयातित कोयले की लागत बढ़ी है। जैन ने कहा कि दरों में प्रभावी वृद्घि 15 प्रतिशत रही है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन ये कीमतें नरम होंगी। साथ ही, हमारे 4.6 गीगावॉट के कुल पोर्टफोलियो में सिर्फ 35 प्रतिशत बिजली ही आयातित कोयले से जुड़ी हुई है, शेष पनबिजली और घरेलू कोयला आधारित है।’
जेएसडब्ल्यू एनर्जी ने अपनी मौजूदा 4.6 गीगावॉट की अक्षय ऊर्जा क्षमता वित्त वर्ष तक बढ़ाकर 10 गीगावॉट और वित्त वर्ष 2030 तक 20 गीगावॉट करने की योजना बनाई है। कंपनी ने अपनी अक्षय ऊर्जा वृद्घि को रफ्तार देने के लिए ईएसजी कोष का लाभ उठाने की भी योजना बनाई है।

First Published - June 28, 2021 | 11:28 PM IST

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