भारत में दो कंपनियों के बीच विज्ञापन की लड़ाई कोई नई बात नहीं है। पेप्सिको-कोका कोला, रिलायंस जियो-भारती एयरटेल, अमूल-हिंदुस्तान यूनिलीवर, टाइम्स ऑफ इंडिया- द हिंदू, कॉम्प्लान-हॉर्लिक्स समेत कई अन्य कंपनियां भी इससे पहले विज्ञापन की लड़ाई में आमने-सामने आ चुकी हैं। इस लड़ाई में ट्रैक्टर ऐंड फार्म इक्विपमेंट (टैफे) और अमेरिकी दिग्गज एजीसीओ शामिल हो गई हैं। भारत में मैसी फर्ग्यूसन (एमएफ) ब्रांड के स्वामित्व पर कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं। अब दोनों कंपनियों ने इस प्रतिष्ठित ब्रांड पर अपना दावा मजबूत करने के लिए देश भर में विज्ञापन के जरिये युद्ध कर रही हैं।
अप्रैल में पहली बार एजीसीओ ने टैफे के साथ अपना करार खत्म होने के बारे में पहली बार बताया था। इसमें एमएफ के लिए ब्रांड लाइसेंस भी शामिल था, जिसने कानून लड़ाई को जन्म दिया। 19 नवंबर को टैफे और एजीसीओ ने दावा किया कि मद्रास उच्च न्यायालयाने एमएफ विवाद पर उनका पक्ष लिया और यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है। इसके बाद एजीसीओ ने 22 नवंबर को द न्यू इंडियन एक्सप्रेस अखबार के पहले पन्ने पर विज्ञापन के जरिये अभियान छेड़ दिया, जिसमें दावा किया कि हर किसान का साथी एजीसीओ का मैसी फर्ग्युसन। विज्ञापन के जरिये ब्रांड को लगातार एजीसीओ का मैसी फर्ग्यूसन कहा गया और यह भी दावा किया गया कि यह 1950 से भारत में मौजूद है।
एजीसीओ मे इसके बाद लगातार मीडिया और पारंपरिक विज्ञापनों के जरिये इसका प्रचार किया और देश भर में दैनिक बिज़नेस अखबार मिंट और तमिल के अखबार दिनमणि में विज्ञापन दिया। टैफे ने इसके जवाब में अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में कवर विज्ञापन जारी किया है और संदेश दिया कि खेत में मैसी और दिल में टैफे। कंपनी ने यह संदेश हिंदी, तमिल, मराठी और कन्नड़ जैसी भाषाओं में दिया। दोनों कंपनियों ने अपने लोगो के साथ-साथ इसके लोगो का उपयोग करके एमएफ ब्रांड पर अपना मालिकाना हक होने का दावा किया। टैफे ने प्रतिष्ठित ट्रिपल-ट्राएंगल एमएफ लोगो का उपयोग किया, जबकि एजीसीओ ने 2022 में पेश किए गए नए एमएफ ब्रांड लोगो का टैगलाइन बॉर्न टू फार्म के साथ उपयोग किया।