सर्वोच्च न्यायालय ने आज एडटेक कंपनी बैजूस के अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) को यथास्थिति बरकरार रखने और लेनदारों की समिति (सीओसी) की कोई बैठक नहीं करने का आदेश दिया। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाले पीठ ने बैजूस की मूल कंपनी थिंक ऐंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ दिवाला कार्यवाही रोकने के राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश के विरुद्ध अमेरिकी कंपनी ग्लास ट्रस्ट की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
अदालत ने कहा, ‘जब तक फैसला नहीं सुनाया जाता है तब तक अंतरिम समाधान पेशेवर यथास्थिति बरकरार रखेंगे और लेनदारों की समिति की कोई बैठक नहीं करेंगे।’
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने संभावित समझौते के लिए शर्तें रखीं, जिसमें यह भी सुनिश्चित होना चाहिए कि कोई भी भुगतान बैजूस की परिसंपत्तियों से नहीं होना चाहिए। उन्होंने फिर से बैजूस से रकम स्वीकारने पर अपनी शर्तें दोहराई कि रकम साफ-सुथरा हो, उस पर कर चुकाया गया हो और उचित माध्यम से आया हो।
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने बैजूस और बीसीसीआई से पूछा कि क्या दिवाला और ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के नियम 30 ए निर्धारित प्रक्रिया के बाहर निपटान की अनुमति देते हैं। यह नियम कंपनी विधि न्यायाधिकरण में वापसी के लिए किए गए आवेदन से संबंधित है।
अमेरिकी ऋणदाता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि मार्च 2022 तक 8,104.68 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था और कुछ दस्तावेज भी उन्हें नहीं सौंपे गए थे। उन्होंने बैजूस के चूक वाले मुद्दों को भी उठाया और बताया कि संभवतः कंपनी की वित्तीय स्थिति के कारण कंपनी के ऑडिटर ने सितंबर, 2024 में अपना इस्तीफा दे दिया।
शीर्ष अदालत ने बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए दिवाला अपील न्यायाधिकरण एनसीएलएटी के फैसले पर सवाल उठाया था, जिसमें बैजूस के खिलाफ दिवाला कार्यवाही को रद्द कर दिया गया था। न्यायालय ने कहा था कि अपील अधिकरण ने अपने विवेक से काम नहीं लिया है।
एडटेक फर्म द्वारा भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के साथ 158.9 करोड़ रुपये के बकाया निपटान के समझौते को मंजूरी देने वाले एनसीएलएटी के आदेश को अमेरिकी ऋणदाता ग्लास ट्रस्ट कंपनी ने चुनौती दी थी। ‘