आईटीसी ने सनराइज की 100 फीसदी इक्विटी हिस्सेदारी का 2,150 करोड़ रुपये में अधिग्रहण किया है, जो उसका अब तक का सबसे बड़ा अधिग्रहण है। 2,150 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान नकदी मुक्त, कर्ज मुक्त आधार पर होना है। इसके अतिरिक्त विक्रेता 150 करोड़ रुपये और पाने की हकदार होंगे, जो सनराइज की तरफ से अगले दो साल में आपसी सहमति वाला परिचालन व वित्तीय लक्ष्य हासिल करने पर दिया जाएगा। आईटीसी ने सोमवार देर शाम यह जानकारी दी।
सनराइज के लिए शेयर खरीद समझौता लॉकडाउन के बाद पूरा हुआ और आईटीसी ने 24 मई को इसकी घोषणा की। इस लेनदेन के साथ कंपनी ने 70 साल पुराना ब्रांड और पूर्वी भारत में बाजार की अग्रणी कंपनी को अपने पोर्टफोलियो में जोड़ा है, लेकिन यह प्रीमियम के साथ आया है। 2019-20 में सनराइज ने 591.50 करोड़ रुपये का कारोबार किया और 31 मार्च, 2020 को उसकी हैसियत 242.89 करोड़ रुपये थी।
हालांकि आईटीसी ने कहा कि इस अधिग्रहण से उसके उत्पादों के पोर्टफोलियो में इजाफा होगा। साथ ही यह मसाला कारोबार में अच्छी-खासी बढ़ोतरी और देश भर में अपने पांव पसारने की उसकी आकांक्षा के मुताबिक है। मसालों की विभिन्न किस्मों के साथ सनराइज की पश्चिम बंगाल में बाजार हिस्सेदारी 50 फीसदी से ज्यादा है और पूर्वी इलाके में वह 15-20 फीसदी हिस्सेदारी के साथ अग्रणी कंपनी है।
यह लेनदेन खाद्य तेल क्षेत्र में आईटीसी के दोबारा प्रवेश का मार्ग भी प्रशस्त करता है, जिससे वह बाहर निकल गई थी और इसके तहत सनड्रॉप ब्रांड की बिक्री हुई थी। सनराइज के उत्पादों के पोर्टफोलियो में सरसों तेल शामिल है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक, सनराइज मजबूती से आगे बढ़ रही है और पिछले नौ वर्षों (वित्त वर्ष 2009-18) और तीन वर्षों (वित्त वर्ष 2015-18) में क्रमश: 24 फीसदी व 22 फीसदी सालाना चक्रवृद्धि की रफ्तार से बढ़ोतरी दर्ज की।
आशीर्वाद ब्रांड के जरिये आईटीसी पहले से ही मसाला क्षेत्र में मौजूद है, जो तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में काफी मजबूत है और सनराइज मिश्रित मसाले के बाजार की कमी की भरपाई कर सकती है। तिमाही नतीजे के बाद एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज न कहा था कि सनराइज फूड्स मार्जिन व बढ़त की रफ्तार में अग्रणी भूमिका निभा सकती है। विश्लेषकों को उम्मीद है कि आईटीसी ऐसे और अधिग्रहण करेगी क्योंकि कई क्षेत्रीय ब्रांड कोविड-19 के बाद अच्छे मूल्यांकन पर उपलब्ध हो सकते हैं। गैर-सिगरेट एफएमसीजी आईटीसी के लिए ध्यान केंद्रित करने वाला क्षेत्र रहा है। कंपनी ने साल 2030 तक एक लाख करोड़ रुपये के राजस्व का लक्ष्य रखा है और अधिग्रहण से कंपनी को यह लक्ष्य पहले हासिल करने में मदद मिल सकती है।
