बिजनेस स्टैंडर्ड हिन्दी
भारत के प्रमुख उद्योगपति और एरीन कैपिटल के चेयरमैन मोहंदास पाई ने भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम की चुनौतियों को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि सरकार की कठोर नीतियों और स्थानीय निवेश की भारी कमी के कारण भारतीय स्टार्टअप्स वैश्विक नवाचार की दौड़ में पिछड़ सकते हैं।
पाई ने कहा, “भारत के पास 1,65,000 रजिस्टर्ड स्टार्टअप्स हैं, जिनमें से 22,000 को फंडिंग मिली है। ये स्टार्टअप्स अब तक 600 अरब डॉलर की वैल्यू क्रिएट कर चुके हैं। हमारे पास 121 यूनिकॉर्न हैं और 250-300 सूनिकॉर्न बनने की कगार पर हैं।”
फिर भी उन्होंने आगाह किया कि यदि स्थानीय पूंजी, अनुसंधान एवं विकास (R&D) और नीति सुधारों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो भारत वैश्विक नवाचार में पिछड़ सकता है।
Also read: Start-Up पर महाराष्ट्र सरकार का 120 करोड़ का दांव, 300 एकड़ में Innovation City
पाई ने बताया कि 2014 से 2024 के बीच चीन ने स्टार्टअप्स में 835 अरब डॉलर, और अमेरिका ने 2.32 ट्रिलियन डॉलर का निवेश किया। वहीं भारत में केवल 160 अरब डॉलर का निवेश हुआ है, जिसमें से लगभग 80% विदेशी निवेश है। उन्होंने कहा, “स्थानीय पूंजी नहीं आ रही है, यही सबसे बड़ी चुनौती है।”
उन्होंने बताया कि अमेरिका में बीमा कंपनियां और यूनिवर्सिटी एंडोमेंट्स स्टार्टअप निवेश के प्रमुख स्रोत हैं, लेकिन भारत में नीति के कारण एंडोमेंट्स को स्टार्टअप में निवेश की अनुमति नहीं है और बीमा कंपनियां भी नियामक बाधाओं के कारण पीछे हैं।
पाई ने सुझाव दिया कि:
मोहनदास पाई ने कहा कि, “स्टार्टअप्स को सरकार और सार्वजनिक उपक्रमों को टेक्नोलॉजी बेचने की आजादी मिलनी चाहिए। कई सुधारों के बावजूद यह प्रणाली अभी भी सही से काम नहीं कर रही है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बड़ी कंपनियां छोटे स्टार्टअप्स को दबाने, कम पैसे में टेक्नोलॉजी खरीदने और समय पर भुगतान न करने की संस्कृति को बढ़ावा देती हैं। “भारत में छोटे लोगों को चोट पहुंचाने की यह संस्कृति बदलनी चाहिए।”
(एजेंसी इनपुट के साथ)