पैरालिसिस, उम्र या अन्य किसी कारण से चलने-फिरने में असमर्थ लोग भी चल सकेंगे। ये अनोखा वियरेबल सॉल्यूशन एक स्टार्टअप नोवा वॉक ने बनाया है जिसे आईआईटी इंदौर (IIT Indore) ने इनक्यूबेट किया है। साथ ही, किसी भी भाषा में डॉक्टर से बात करने के लिए एआई बेस्ड सॉल्यूशन (AI based solution भी बनाया गया है। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में अल्ट्रासाउंड रोबोट की मदद से सोनोग्राफी करना आसान हो गया है। इसके अलावा एक सुटकेस में आ जाबे वाली पोर्टेबल ब्लड टेस्टिंग यूनिट (Portable blood testing unit) भी अब मौजूद है।
दिल्ली के हैबिटेट सेंटर में ऐसे 15 स्टार्टअप को फंडिंग दी गई जो हेल्थ केयर सेक्टर में अनूठे प्रयास कर रहे हैं। साइंस एंड टेक्नोलॉजी मंत्री (Minister for Science & Technology) जितेंद्र सिंह एवं इंदौर के सांसद शंकर लालवानी (Indore MP Shankar Lalwani) ने एक कार्यक्रम में स्टार्टअप्स को फंडिंग का लेटर दिया। 15 स्टार्टअप्स को 5 करोड़ रु की फंडिंग दी गई है और ये राशि प्रत्येक स्टार्टअप के लिए बढ़ाकर 1 करोड़ रु की जा सकती है। इन 15 कुछ स्टार्टअप आईआईटी के प्रोफेसर्स ने शुरू किए हैं तो कुछ भोपाल एम्स के डॉक्टर्स ने बनाए है वहीं कुछ स्टार्टअप्स डॉक्टर और इंजीनियर्स ने मिलकर बनाए हैं।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा की अब डॉक्टर्स, इंजीनियर का काम कर रहे हैं और कई इंजीनियर, डॉक्टर के मेडिकल क्षेत्र में काम कर रहे हैं टेक्नोलॉजी की मदद से यह संभव हुआ है और नई शिक्षा नीति 2020 के कारण बहुत जल्द छात्र विभिन्न विषयों का अध्ययन कर सकेंगे।
वहीं इंदौर सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि आईआईटी इंदौर ने ऐसे स्टार्टअप्स (Start Ups) की मदद की है जो हेल्थ केयर (Health Care) के क्षेत्र में क्रांतिकारी काम कर रहे हैं। आज से 10-20 साल पहले जिन बीमारियों का इलाज असंभव लगता था वह आज स्टार्टअप्स ने संभव कर दिखाया है। इन स्टार्टअप्स की मदद से ग्रामीण क्षेत्र में भी उच्च स्तरीय हेल्थ केयर सुविधा पहुंचना संभव है।
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