Toshihiro Mibe, Right, Speaks Next To Makoto Uchida, During A Joint News Conference In Tokyo In August. | Image: Bloomberg
Honda-Nissan Merger: ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में एक बड़ी हलचल होने की संभावना है। कार बनाने वाली दो जापानी कंपनियां होंडा मोटर (Honda Motor) और निसान मोटर (Nissan Motor) एक साथ मिलकर दिग्गज ऑटोमेकर टोयोटा (Toyota) को कड़ी टक्कर देने की योजना बना रही है। समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, टोयोटा की बादशाहत को चुनौती देने के लिए दोनों कंपनियां कई विकल्पों पर विचार कर रही हैं। इसमें होंडा और निसान के मर्जर का भी विकल्प शामिल है। यदि ऐसा होता है तो यह न सिर्फ जापान की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा बदलाव होगा बल्कि दुनिया भर में इसका असर देखने को मिलेगा। इस बीच आईफोन (iPhone) और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट बनाने वाली कांट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर फॉक्सकॉन (Foxconn) ने निसान मोटर में नियंत्रण हिस्सेदारी हासिल करने का प्रस्ताव रखा है।
होंडा और निसान के मर्जर की अटकलों के तूल पकड़ने के बाद, होंडा के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिंडेंट शिंजी अवोयामा ने इस बारे में एक बयान दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि होंडा कई विकल्पों पर विचार कर रही है, जिनमें मर्जर, पूंजी साझेदारी (capital tie-up) या होल्डिंग कंपनी की स्थापना शामिल है। दोनों कंपनियों के संभावित मर्जर को लाभ उठाने के लिए ताइवानी कंपनी फॉक्सकॉन ने निसान मोटर में नियंत्रण हिस्सेदारी हासिल करने का प्रस्ताव रखा है। ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया कि फॉक्सकॉन सिर्फ निसान के प्लांट और उपकरणों में ही नहीं, बल्कि पूरी कंपनी में रुचि रखती है। यह पेशकश इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में फॉक्सकॉन के बड़े निवेश के तहत की गई है। हालांकि, यह प्रस्ताव अभी सार्वजनिक नहीं हुआ है।
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Honda-Nissan के मर्जर से दो हिस्सों में बंट सकता है जापान का ऑटो उद्योग
इस डील के सफल होने पर जापानी ऑटो उद्योग दो बड़े समूहों में बंट सकता है। पहला समूह होंडा, निसान और मित्सुबिशी का होगा, जबकि दूसरा टोयोटा ग्रुप की कंपनियों का होगा। यह डील इन कंपनियों को वैश्विक स्तर पर बड़े प्रतिस्पर्धियों का सामना करने के लिए अधिक संसाधन प्रदान करेगा। निसान ने पहले ही फ्रांस की Renault SA से और होंडा ने जनरल मोटर्स से अपनी साझेदारी को सीमित कर लिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस संभावित मर्जर को जापान की कमजोर ऑटो कंपनियों द्वारा खुद को बचाने के एक प्रयास के रूप में देखा जा सकता है। होंडा, निसान और मित्सुबिशी ने इस साल की पहली छमाही में कुल 4 मिलियन गाड़ियां बेचीं, जो अकेले टोयोटा की 5.2 मिलियन गाड़ियों की बिक्री से काफी कम है। अगर ये कंपनियां साथ आती हैं, तो वे घर (जापान) और विदेश (ग्लोबल मार्केट) में दुनिया की सबसे बड़ी कार निर्माता टोयोटा को टक्कर दे सकती हैं।
(ब्लूमबर्ग के इनपुट के साथ)