एयर इंडिया की बिक्री सरकार की प्राथमिकता सूची में शीर्ष पर होने से अन्य ताजे निजीकरण प्रस्तावों पर कार्रवाई सुस्त हो गई है। इस प्रक्रिया से जुड़े कई अधिकारियों का कहना है कि एक सरकारी बीमा कंपनी के निजीकरण के साथ साथ चालू सौदों जैसे कि भारतीय नौवहन निगम (एससीआई) और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन के निजीकरण में देरी हो रही है।
एक अधिकारी ने कहा कि निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) को नीति आयोग के निजीकरण को लेकर ताजे सिफारिशों को कैबिनेट सचिव की अगुआई वाले विनिवेश पर सचिवों के कोर समूह (सीजीडी) तक पहुंचाना अभी बाकी है। प्राथमिकता अब यह सुनिश्चित करने की है कि एयर इंडिया की सभी मंजूरी ठीक प्रकार से हो जाए क्योंकि सरकार इस महीने जल्द से जल्द एयर इंडिया को निजी हाथ में सौंपना चाहती है।
इसके कारण से न चाहते हुए भी एक सरकारी बीमा कंपनी के निजीकरण के लिए कार्रवाई आगे बढ़ाने में देरी हो रही है। सरकार ने इसकी घोषणा केंद्रीय बजट में की थी। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि नीति आयोग ने यूनाइटेड इंडिया इंश्यारेंस कंपनी के निजीकरण की सिफारिश की है लेकिन इस दिशा में कार्रवाई सुस्त पड़ गई क्योंकि पहली प्राथमिकता एयर इंडिया की बिक्री है। अधिकारी ने कहा कि इसके कारण इस बात की आशंका बढ़ गई है कि एक पीएसयू बीमाकर्ता के निजीकरण की प्रक्रिया इस साल पूरी नहीं हो पाएगी।
उन्होंने कहा कि एयर इंडिया के निजीकरण का मसला वर्षों से लटका है और अब यह अपने अंतिम चरण में है। इसके अलावा दीपम में कर्मचारियों की संख्या भी सीमित है और अतिरिक्त कार्यबल की नियुक्ति की प्रक्रिया पर अब भी काम चल रहा है। नए निजीकरण प्रस्तावों पर धीमी प्रगति के कारण नीति आयोग अब निजीकरण के लिए उम्मीदवारों की सिफारिश देने के बाद सीधे आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) से मंजूरी ले रहा है ताकि सीजीडी से मंजूरी लेने वाले एक चरण की कटौती की जा सके।
चालू सौदों के संबंध में भारतीय नौवहन निगम के निजीकरण की प्रक्रिया धीमी गति से आगे बढ़ रही है और पिछले महीने अंतरमंत्रालयी समूह प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) और शेयर खरीद समझौते (एसपीए) पर चर्चा करने के लिए बैठा था। हालांकि, सीजीडी ने अब तक इसे मंजूर नहीं किया है और इसे इच्छुक बोलीदाताओं के साथ ही साझा नहीं किया जा सका है। इसके कारण से इच्छुक खरीदार द्वारा कागजी कार्रवाई को पूरा करने में देरी होगी।
एक तीसरे अधिकारी ने कहा कि भले ही बोलीदाताओं को डेटा कक्ष की पहुंच दी गई है लेकिन औपचारिक रूप से प्रक्रिया तभी आगे बढ़ेगी जब आरएफपी और एसपीए के जरिये नियम और शर्तों को स्पष्ट किया जाएगा। इच्छुक बोलीदाताओं को अब तक कंपनी के गोपनीय सूचना ज्ञापन की भी पहुंच नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि एससीआई के आरएफपी और एसपीए की मंजूरी की प्रक्रिया एयर इंडिया की बोली समयसीमा के साथ चल रही है जिससे इसमें और देरी हुई है। बीपीसीएल के निजीकरण की प्रक्रिया धीमी है क्योंकि इच्छुक पक्षों द्वारा कागजी कार्रवाई में अधिक समय लग रहा है। अधिकारी ने कहा कि डेटा कक्ष को 15 नवंबर तक के लिए खुला रखा जाएगा और अंतिम बोली 16 नवंबर को स्वीकृत की जाएगी। उच्च ज्वार भाटा और अन्य जटिलताओं के कारण तेल रिसाव को लेकर सावधानी बरतने जैसे दूसरे मुद्दे भी हैं। अधिकारी ने कहा कि इनके कारण वित्तीय बोली को जमा कराने की तारीख आगे बढऩे की संभावना है।
हालांकि, दूसरे अधिकारी ने कहा कि इन कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया पटरी पर है और इनमें कोई देरी नहीं हुई है।
एयर इंडिया के अलावा सरकार की प्राथमिकता में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) है जिसका लेकर कहा जा रहा है कि यह भारत का अब तक सबसे बड़ा आईपीओ होगा।