बीएस बातचीत
जेफरीज के प्रबंध निदेशक महेश नंदुरकर ने पुनीत वाधवा के साथ साक्षात्कार में बताया कि चूंकि बाजार अगले कुछ सप्ताहों में अपने जून 2021 तिमाही प्रदर्शन की घोषणा करने के लिए तैयार हैं, लेकिन न्यूनतम आधार की मदद से इस साल कॉरपोरेट आय वृद्घि मजबूत रह सकती है, लेकिन बाजारों में इसका असर पहले ही दिख चुका है। मुख्य अंश:
क्या आप मानते हैं कि कई परिसंपत्ति वर्गों में बुलबुले की स्थिति बन रही है?
बुलबुला एक मजबूत शब्द है। मैं नहीं मानता कि स्थिति बुलबुले जैसी है। इक्विटी बाजार का पीई मल्टीपल काफी बढ़ गया है, यह करीब दो स्टैंडर्ड डेविएशन ऊपर है। लेकिन साथ ही, जोखिम-मुक्त दर दुनियाभर में कम है। भारतीय संदर्भ में, हमारा पसंदीदा ‘बॉड प्रतिफल-आय प्रतिफल’ मूल्यांकन मानक ऐतिहासिक औसत के नजदीक है। इसका मतलब है कि बाजार में इस तरह का उत्साह नहीं है। लेकिन हां, हमें इसे लेकर अवगत होने की जरूरत है कि यह ज्यादा तरलतता वाला कम प्रतिफल हमेशा इस स्तर पर नहीं बना रहेगा।
विदेशी निवेशक निवेश बाजार के तौर पर भारत को किस नजरिये से देख रहे हैं?
विदेशी निवेशक अर्थव्यवस्था में अल्पावधि कमजोरी और संभावित आर्थिक वृद्घि रिकवरी पर ध्यान देने को इच्छुक हैं। भारत की वृहद स्थिति आवासीय बाजार में संभावित तेजी के संदर्भ में मजबूत दिख रही है, जिससे आर्थिक वृद्घि में सुधार को बढ़ावा मिलने की संभावना है। ईएम बाजारों में प्रदर्शन के संदर्भ में हम चाहेंगे कि डॉलर ‘स्थिर से कमजोर’ बना रहे।
कई विश्लेषक मुद्रास्फीति को अस्थायी मान रहे हैं? आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
हां, यह सही है। वैश्विक नजरिया यह है कि अमेरिकी मुद्रास्फीति अस्थायी होगी। इससे फेडरल को प्रोत्साहन संबंधित रियायतें बेहद धीरे धीरे वापस लेने में मदद मिलेगी। लेकिन कुछ संभावित मजबूत श्रम संबंधित आंकड़ों से इस पर सवाल खड़ा हो सकता है।
आपके हिसाब से वैश्विक केंद्रीय बैंक कब तक उदार बने रह सकते हैं?
हम कनाडा, ब्रिटेन जैसे देशों के कुछ केंद्रीय बैंकों को रियायतें में नरमी लाते पहले ही देख चुके हैं। उभरते बाजारों के कुछ केंद्रीय बैंकों ने दरें बढ़ाना शुरू किया है, लेकिन ध्यान इस बात पर रखने की जरूरत होगी कि फेडरल रिजर्व या यूरोपियन केंद्रीय बैंक कब रियायतों में नरमी शुरू करेंगे। अमेरिकी फेडरल इसे लेकर पहले बात बातचीत शुरू कर चुका है। हालांकि बाजार इसके लिए बिल्कुल सही समय का इंतजार नहीं करेंगे। इक्विटी और बॉन्ड बाजार, दोनों में ही इस संबंध में कई तिमाही पहले ही प्रतिक्रिया दिखती है। ऐसा ही भारत में हो सकता है। हमारा अनुमान है कि भारतीय 10 वर्षीय बॉन्डप्रतिफल अगले 6-12 महीनों के दौरान 50-75 आधार अंक चढ़ेगा।
क्या भारतीय बाजार अब समय-आधारित/कीमत-आधारित गिरावट देख सकते हैं?
निफ्टी के लिए 12 महीने के लिए हमारा लक्ष्य 16,300 है और हमें अगले 12 महीनों के दौरान बाजार से एक अंक के प्रतिफल की संभावना है। यह नजरिया वैश्विक रूप से और भारत में भी अतिरिक्त तरलता के धीमी गति से इस्तेमाल के हमारे अनुमान पर आधारित है।
वित्त वर्ष 2022 में कॉरपोरेट आय वृद्घि का वास्तविक आकलन क्या है?
न्यून आधार की मदद से इस साल कॉरपोरेट आय वृद्घि मजबूत रह सकती है और निफ्टी के लिए यह करीब 30 प्रतिशत रहेगी, लेकिन बाजार में इसका असर पहले ही दिख चुका है।