भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को अदाणी समूह के खिलाफ अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच पूरी करने के लिए और मोहलत चाहिए। इसके लिए वह सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है।
घटनाक्रम के वाकिफ दो लोगों ने इसकी जानकारी दी। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति के समक्ष इस मामले की स्थिति रिपोर्ट सौंपे जाने की समयसीमा 2 मई को खत्म हो रही है।
एक सूत्र ने कहा, ‘सेबी की लीगल टीम स्थिति रिपोर्ट जमा कराने के लिए समयसीमा बढ़ाने की मांग को लेकर शीर्ष अदालत में आवेदन कर सकती है। स्थिति रिपोर्ट सौंपे जाने की समयसीमा अगले कुछ दिनों में खत्म हो रही है।
जांच में शामिल जटिलताओं और रिपोर्ट के मूल्यांकन के लिए सेबी को कुछ और वक्त की दरकरार है।’ उक्त शख्स ने कहा कि बाजार नियामक इस मामले में अब तक की प्रगति से अदालत को अवगत करा सकता है और जांच पूरी करने के लिए अधिक समय की मांग के पीछे वाजिब तर्क दे सकता है।
इस बारे में जानकारी के लिए सेबी को ईमेल किया गया था लेकिन खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया। सेबी से जुड़े एक अन्य सूत्र ने कहा, ‘अदाणी समूह की विदेश में स्थित इकाइयों के बारे में अहम जानकारी पूरी तरह से उपलब्ध नहीं है। यह जानकारी और संबंधित डेटा इस जांच में अहम साबित हो सकते हैं। इसलिए नियामक यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त समय मांग सकता है कि जांच के निष्कर्ष सटीक और शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित दायरे के अनुरूप हों।’
समझा जाता है कि सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एएम सप्रे की अध्यक्षता वाली 6 सदस्यीय समिति इस हफ्ते की शुरुआत में सेबी मुख्यालय पहुंची थी।
उक्त सूत्र ने कहा, ‘उन्हें मामले की प्रगति से अवगत कराया गया और उनकी प्रतिक्रिया भी ली गई।’ सेबी इस विषय पर लगातार काम कर रहा है। न्यायालय ने इस मामले में स्थिति रिपोर्ट सौंपने के लिए केवल दो महीने का समय दिया है। यह मामला भारत और दूसरे देशों की नियामकीय इकाइयों से सूचनाएं मंगाने से जुड़ा है।
इस मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘विदेशी न्यायाधिकार क्षेत्र और संरक्षकों से विदेशी फंडों के लाभकारी मालिकाना हक से संबंधित जानकारी प्राप्त करना जितना समझा गया था उससे कहीं अधिक कठिन साबित हो रहा है।’
सूत्रों ने कहा कि पिछले दो सप्ताहों से बाजार नियामक अदाणी समूह और बाजार में सक्रिय मध्यस्थों से लगातार जानकारियां मांग रहा है। ये जानकारियां तीसरे पक्ष के लेनदेन से जुड़ी हैं। ये लेनदेन अदाणी समूह की 10 सूचीबद्ध कंपनियों और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों ने किए थे। मामले की जानकारी रखने वाले दूसरे लोगों ने कहा कि इसके अलावा शेयरधारिता प्रारूप, खुलासे एवं अन्य जानकारियां भी मांगी जा रही है जिनकी मदद से समूह द्वारा प्रकाशित आंकड़ों एवं दावों की सत्यता का पता लगाने के लिए किया जाएगा।
अदाणी समूह की कंपनियों के शेयरों के मूल्य में कथित धांधली की जांच के लिए दो अलग-अलग दल काम कर रहे हैं। हिंडनबर्ग रिपोर्ट प्रकाशित होने से पहले और इसके बाद बाजार में अदाणी समूह के शेयरों के कारोबार पर भी गौर किया जाएगा।