रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा 20 अरब डॉलर जुटाने की पहल से उसे एक दिग्गज डिजिटल कंपनी बनने का सपना पूरा करने में मदद मिलेगी। साथ ही इससे भारत के लिए एमेजॉन, वॉलमार्ट और जूम जैसी अमेरिकी कंपनियों की महत्त्वाकांक्षी योजनाओं को भी तगड़ी प्रतिस्पर्धा मिल सकती है।
रिलायंस की डिजिटल इकाई जियो प्लेटफॉम्र्स में हिस्सेदारी बिक्री ने न केवल निजी इक्विटी एवं सॉवरिन वेल्थ फंड को बल्कि गूगल और फेसबुक जैसी दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनियों को भी आकर्षित किया है। यह रिलायंस के कारोबार के लिए एक दमदार समर्थन है जो कुछ वर्ष पहले तक मुख्य तौर पर तेल रिफाइनिंग पर ध्यान केंद्रित करती थी।
उद्योग के कुछ दिग्गजों ने रिलायंस की डिजिटल योजनाओं की तुलना चीन की कंपनी अलीबाबा और टेनसेंट से की है जिन्हें रिलायंस खुद ‘ग्लोबल पीर’ यानी वैश्विक साथी कहती है। रिलायंस अपनी डिजिटल योजना के तहत कारोबार का विस्तार ऑनलाइन शॉपिंग एवं क्लाउड कंप्यूटिंग से दूरसंचार एवं डिजिटल भुगतान तक किया है। प्रतिस्पर्धी कारोबार में व्यवधान डालने का रिलायंस का इतिहास रहा है।
रिलायंस की दूरसंचार इकाई जियो ने सस्ते स्मार्टफोन और डेटा प्लान के जरिये महज चार साल में बाजार की अग्रणी कंपनी वोडाफोन और भारती एयरटेल को पछाड़कर देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी बन गई। चेयरमैन मुकेश अंबानी ने बुधवार को कहा कि रिलायंस अपने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जियोमार्ट का विस्तार करेगी और ताकि न केवल किराना बल्कि इलेक्ट्रॉनिक्स एवं फैशन उत्पादों की भी पेशकश की जा सके।
सिंगापुर की वित्तीय सलाहकार फर्म रेस्फेबर इंटरनैशनल के मयंक विश्नोई ने कहा, ‘जियो प्लेटफॉम्र्स के पास न केवल बैकएंड बुनियादी ढांचा और विकास दक्षता है बल्कि उसके पास लगातार बढ़ रहे निजी ग्राहक आधार भी है।’ उन्होंने कहा, ‘विभिन्न क्षेत्रों को लक्ष्य करते हुए नए डिजिटल उत्पादों का जुडऩा मौजूदा तमाम अग्रणी कंपनियों के लिए खतरा हो सकता है। फेसबुक और गुगल जैसी कंपनियों के साथ रणनीतिक साझेदारी से पता चलता है कि रिलायंस की रणनीति वास्तविक है।’
हालिया हिस्सेदारी बिक्री से रिलायंस को जियोमार्ट के लिए एक विदेशी साझेदार मिला है जिसे इसी साल लॉन्च किया गया था। फेसबुक के व्हाट्सऐप के लिए भारत शीर्ष बाजार है जहां उसके उपयोगकर्ताओं की संख्या 40 करोड़ से अधिक है। जियोमार्ट से छोटे खुदरा विक्रेताओं को जोडऩे के लिए अब वे साथ मिलकर काम करेंगे।
बहरहाल, इतना तो तय है कि रिलायंस को एमेजॉन और वॉलमार्ट की ई-कॉमर्स इकाई फ्लिाकार्ट से तगड़ी प्रतिस्पर्धा मिलेगी क्योंकि इन दोनों कंपनियों की देश में गहरी पैठ हो चुकी है और वे अपने गोदाम एवं आपूर्ति शृंखला स्थापित कर चुकी हैं।
जियोमार्ट फिलहाल महज 200 शहरों में किराने के सामान की डिलिवरी करती है जबकि एमेजॉन और फ्लिपकार्ट देश भर में वस्तुओं की एक व्यापक शृंखला की डिलिवरी करती हैं। वॉलमार्ट, फ्लिपकार्ट और एमेजॉन ने इस बाबत पूछे जाने पर तत्काल कोई जवाब नहीं दिया।