एडवर्ब टेक्नोलॉजिज, जो फ्लिपकार्ट, एचयूएल, एशियन पेंट्स और कोका-कोला जैसे ग्राहकों को रोबोटिक्स तथा स्वचालन प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराती है, ने अरबपति मुकेश अंबानी की रिलायंस के साथ एक रणनीतिक साझेदारी की है, जिसके तहत ऊर्जा से लेकर दूरसंचार क्षेत्र तक व्याप्त यह समूह सबसे बड़ा हिस्सेदार बनने के लिए 13.2 करोड़ डॉलर (करीब 984 करोड़ रुपये) का निवेश करेगा। इस निवेश के साथ रिलायंस के पास एडवर्ब में करीब 54 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी।
नोएडा स्थित एडवर्ब ने इससे पहले एशियन पेंट्स के सह-प्रवर्तक जलज दानी की अगुआई में सीरीज ए और प्री-सीरीज वित्त पोषण के तहत तकरीबन 1.1 करोड़ डॉलर जुटाए थे, जिससे जून 2016 में इसकी स्थापना के बाद से इसका कुल वित्त पोषण करीब 14.3 करोड़ डॉलर तक पहुंच गया था। वित्त पोषण के इस दौर से यूरोप और अमेरिका में कंपनी के विस्तार को रफ्तार मिलेगी और यह एक ही जगह पर सबसे बड़ी रोबोटिक निर्माण इकाई स्थापित करने में सक्षम होगी।
फर्म ने कहा कि यह विनिर्माण इकाई पूरी तरह से स्वचालित होगी और भारत को रोबोटिक क्षेत्र में दुनिया के अगुआ के रूप में आगे ले जाएगी। एडवर्ब की योजना यूरोप, अमेरिका और भारत में आधार वाली नवोन्मेष प्रयोगशाला शुरू करने की भी है, जहां मानव-रोबोट सहयोग के क्षेत्र में जटिल समस्याओं को हल करने के लिए बेहतरीन और समान विचारधारा वाले मस्तिष्क मिलकर काम करेंगे।
एडवर्ब टेक्नोलॉजिज के मुख्य कार्याधिकारी और सह-संस्थापक संगीत कुमार ने कहा ‘रिलायंस पहले से ही हमारे सम्मानित ग्राहकों में से एक थी, जिसके साथ हमने उनके जियो-मार्ट किराना कारोबार के लिए अत्यधिक स्वचालित गोदामों का सह-निर्माण और वितरण किया था। इस रणनीतिक साझेदारी से हमें नए ऊर्जा कार्यक्रमों के जरिये 5जी, बैटरी प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने, और अधिक उन्नत तथा किफायती रोबोट प्रदान करने के लिए पदार्थ विज्ञान (कार्बन फाइबर) में मदद मिलेगी।’ कुमार ने कहा ‘यह गठजोड़ हमें ई-कॉमर्स, खुदरा बिक्री, किराना, फैशन, फार्मा, डिजिटल और पेट्रोरसायन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में ओमनी-चैनल वितरण केंद्रों में बड़े स्तर पर रोबोट तैनात करने का अवसर भी प्रदान करेगा। वित्त पोषण के इस दौर से हम अस्पतालों और हवाई अड्डों पर अपने रोबोट तैनात करने की योजना बना रहे हैं।’
उन्होंने कहा कि रिलायंस जिस तरह गोदामों का विस्तार कर रही है, उसे देखते हुए उन्हें एक समर्पित साझेदार की जरूरत है। कुमार ने कहा कि ये किराना, फैशन और जीवन शैली, फार्मा, सामान्य वस्तुओं और फर्नीचर जैसे कारोबार के हर खंड के लिए विशाल गोदाम हैं। उन्होंने कहा कि इन गोदामों को स्वचालन की जरूरत होती है और हमें लगता है कि हम इनमें से कुछ गोदामों में बड़े स्तर पर अपनी कई तकनीकों का परीक्षण और कार्यान्वयन करने में सक्षम रहेंगे। हम उनके नए कारोबारों के लिए भी बहुत घनिष्ठता से काम कर रहे हैं, जो सौर और उनके पेट्रोरसायन कारोबार से संबंधित है।
ई-कॉमर्स में तेजी दिखने, संगठित खुदरा का विस्तार, जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) का कार्यान्वयन तथा मेक-इन-इंडिया पर ध्यान केंद्रित किया जाना ऐसे कुछ कारक हैं, जिन्होंने भारत में रोबोटिक्स और ऑटोमेशन बाजार का मार्ग प्रशस्त किया है। कोविड के आने से भी उद्योगों में स्वचालन को अपनाया गया है। रिलायंस ई-कॉमर्स पर भी बड़ा दांव लगा रही है और विश्लेषकों के अनुसार एडवर्ब की प्रौद्योगिकी से रिलायंस को अजियो और जियोमार्ट जैसे अपने ऑनलाइन खुदरा प्लेटफॉर्म का विस्तार करने में मदद मिलने की उम्मीद है।