आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट लाइफसाइकल (एसडीएलसी) को नए सिरे से परिभाषित कर रहा है और इंजीनियरों द्वारा लिखी गई हजारों लाइनें अब मशीनों द्वारा लिखी जा रही हैं। आईटी सेवा कंपनियां डोमेन विशेषज्ञता का फायदा उठाने के लिए गैर-प्रौद्योगिकी पृष्ठभूमि वाले लोगों की भर्ती करने पर जोर दे रही हैं। ऐसे कर्मचारी भले ही प्रशिक्षित इंजीनियर नहीं होते और कोड लिखना नहीं जानते, लेकिन कंपनियों को इसकी कोई चिंता नहीं है। दरअसल कोड तैयार करने वाली कई स्टार्टअप कोडिंग में उनकी सहायता कर सकती हैं।
कॉग्निजेंट के मुख्य कार्याधिकारी रवि कुमार ने कहा कि अब करीब 30 फीसदी कोड मशीन से जेनेरेट किए जाते हैं। इस साल की शुरुआत में यह आंकड़ा 20 फीसदी था। उन्होंने वित्तीय नतीजे के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘ऐसे प्रोग्रामर की जरूरत बरकरार रहेगी जो प्लेटफॉर्म बनाने के साथ-साथ एआई एल्गोरिदम भी लिखते हैं। मगर एसडीएलसी में बदलाव होने के साथ ही हम अन्य डोमेन क्षमता वाले लोगों की भी भर्ती करने और उन्हें भविष्य के लिए प्रशिक्षित करने पर ध्यान देंगे। हम किसी कंपनी के वित्तीय एवं लेखा कार्यों को एजेंटिफाई करने के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) और फाइनैंस में एमबीए करने वालों को काम पर रख सकते हैं।’
वित्तीय एवं लेखा, कानूनी और आपूर्ति श्रृंखला जैसे कार्यों के स्वचालित होने के साथ ही आईटी कंपनियों में ऐसे लोगों को भर्ती करने का रुझान बढ़ेगा जिनके पास उद्योग का काफी ज्ञान हो और जो केवल कार्यान्वयन ही नहीं बल्कि सिफारिशें भी कर सकते हैं।
कुमार जैसे अधिकारियों के भरोसे को ‘वाइब कोडिंग’ के रूप में जाना जाता है। यह शब्द ओपनएआई के सह-संस्थापक और टेस्ला में एआई के पूर्व प्रमुख आंद्रेज कार्पेथी द्वारा गढ़ा गया है। इसका मतलब है कि कोडिंग या कंप्यूटर भाषाओं के ज्ञान के बिना भी लोग केवल अंग्रेजी में कमांड का उपयोग करके कोडिंग कर सकते हैं। अमेरिका की कर्सर और विंडसर्फ जैसी स्टार्टअप- जिन्हें गूगल ने 2.4 अरब डॉलर में खरीदा था- कोड जेनेरेशन या ‘कोड-जेन’ स्टार्टअप है। ये स्टार्टअप अब निवेशकों की पसंदीदा बन गई हैं।
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने अप्रैल में कहा था कि कंपनी का 30 फीसदी से अधिक कोड अब एआई-जेनेरेटेड है। एमेजॉन के सीईओ ऐंडी जेस्सी ने पिछले साल एक लिंक्डइन पोस्ट में कहा था कि सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के लिए कंपनी के जेन एआई असिस्टेंट एमेजॉन क्यू ने जावा में ऐप्लिकेशन को अपग्रेड करते समय 4,500 डेवलपर वर्षों के बराबर बचत करने में मदद की। कुमार ने कहा, ‘आपको विषयों के बारे में अलग तरह से सोचना होगा। केवल डोमेन स्ट्रीम ही नहीं बल्कि कौशल एवं क्षमताओं के व्यापक दायरे पर सोचना होगा।’
विशेषज्ञों के अनुसार, कंपनियां आगे तीन पैमानों- तकनीकी विशेषज्ञता (एआई कौशल का ज्ञान), डोमेन विशेषज्ञता (बैंकिंग, रिटेल, लाइफसाइंस) और ग्राहक संबंधी विशेषज्ञता के आधार पर भर्ती करेंगी। नैसकॉम की वरिष्ठ उपाध्यक्ष और मुख्य रणनीति अधिकारी संगीता गुप्ता ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि आईटी उद्योग को आगे व्यक्तिगत योगदानकर्ताओं की काफी जरूरत महसूस होगी।