बुजुर्ग आबादी में वृद्धि और डेवलपर्स के इस क्षेत्र में बढ़ती रुचि के कारण सीनियर लिविंग उद्योग का बाजार आकार मौजूदा 1.8 से 2 अरब डॉलर से बढ़कर 2030 तक 8 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। एसोसिएशन ऑफ सीनियर लिविंग इन इंडिया और जेएलएल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में वरिष्ठ नागरिकों की आबादी 2025 में अनुमानित 16.3 करोड़ से बढ़कर 2030 तक 19.15 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। इसके साथ ही इस क्षेत्र में विकास की काफी गुंजाइश है। इस क्षेत्र में जून 2025 तक कुल आपूर्ति लगभग 22,000 यूनिट रही, जबकि रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे घरों की संभावित मांग 2025 के लिए 17 लाख यूनिट हो सकती है।
एमएमआर और गुजरात के सीनियर मैनेजिंग डायरेक्टर एवं अल्टरनेटिव्स के प्रमुख करन सिंह सोढ़ी ने कहा, ‘मांग-आपूर्ति में यह अंतर देश के सबसे जीवंत उभरते क्षेत्रों में से एक में रणनीतिक निवेशकों के लिए बेहतरीन अवसर है।’ इस खंड में पहले से ही निवेश की स्थिति काफी मजबूत रही है। पिछले 18 महीनों में लगभग 20 सौदे हुए हैं और निवेश का आकार 100 करोड़ रुपये को पार कर गया है। लोग प्रीमियम सीनियर लिविंग सुविधाओं को अधिक पसंद कर रहे हैं और यहां कब्जा लेने की दर लगातार 80 से 85 प्रतिशत बनी हुई है।
ऐसे घरों की मांग 2030 तक बढ़कर 23 लाख यूनिट होने का अनुमान है, जिसमें बाजार हिस्सेदारी 2025 में लगभग 1.4 प्रतिशत से बढ़कर कुल संभावित बाजार का 2.5 प्रतिशत होने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि बाजार में परियोजना लॉन्च करने की गति इसी प्रकार बनी रही तो 2030 तक लगभग 14,900 सीनियर लिविंग होम और बन जाएंगे। इन पर अनुमानित लागत 26,000 करोड़ रुपये अथवा 3 अरब डॉलर आने की संभावना है।
इस क्षेत्र में कार्यरत कंपनियां राज्य सरकारों से महाराष्ट्र सरकार की तर्ज पर सीनियर लिविंग नीतियां अपनाने की मांग कर रही हैं। महाराष्ट्र में डेवलपर को स्टाम्प ड्यूटी, जीएसटी और पार्किंग पर लाभ मिलता है। डेवलपर्स एक सहायक लिविंग नीति के लिए भी जोर दे रहे हैं ताकि उन्हें देखभाल केंद्र के लिए नर्सिंग होम का लाइसेंस लेने की आवश्यकता न पड़े।
डेवलपर्स ने कम लागत वाले वित्तपोषण और शीघ्र अनुमोदन सुनिश्चित कर ऐसे घरों के विकास के लिए एक राष्ट्रीय नीति की भी मांग की है। इसमें सिंगल विंडो क्लीयरेंस, पंजीकरण में स्पष्टता और सुरक्षा तथा सेवा गुणवत्ता में वैश्विक मानक अपनाए जाने चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा वित्तीय नियम, जैसे कि रिवर्स मॉर्टगेज लोन के माध्यम से वरिष्ठ आबादी को वित्तीय स्वतंत्रता प्रदान करने और सीनियर परियोजनाओं को इन्फ्रा संरचना का दर्जा देकर दीर्घकालिक ऋण उपलब्ध करने जैसी सुविधाएं इस सेगमेंट को गति दे सकती हैं।
एएसएलआई के अध्यक्ष और अंतरा सीनियर केयर के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राजीव मेहता ने कहा, ‘आज भी जब 70 प्रतिशत वरिष्ठ नागरिक आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं, सही वित्तीय और बीमा नवाचार देश के जनसांख्यिकीय विकास से मिलने वाले आर्थिक अवसर को भुनाने में मदद कर सकता है।’