India’s office market- Domestic occupiers: भारतीय कंपनियों ने कमर्शियल रियल एस्टेट बाजार में अपनी उपस्थिति में काफी वृद्धि की है। इस बाजार में भारतीय कंपनियों का हिस्सा बढ़कर 45 फीसदी से अधिक हो गया है। इस बाजार में BFSI सेक्टर ने औसत ट्रांजैक्शन आकार में सबसे महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की है। BFSI कंपनियों ने अपनी जगह की आवश्यकताओं को दोगुना से भी अधिक कर दिया है। भारतीय कंपनियों के लिए दिल्ली-एनसीआर और मुंबई के कमर्शियल रियल एस्टेट बाजार पसंदीदा हैं।
बीते कुछ वर्षों से कमर्शियल रियल एस्टेट बाजार में भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है। संपत्ति सलाहकार फर्म JLL इंडिया के अनुसार 2022 से घरेलू कंपनियों ने सकल लीज़िंग गतिविधि का 46 फीसदी हिस्सा लिया है, जो 2017-2019 के दौरान 35 फीसदी था। 2024 में घरेलू कंपनियों द्वारा लीज़िंग की मात्रा अभूतपूर्व स्तर पर 319 लाख वर्ग फुट के स्तर पर पहुंच गई है। 2025 की पहली तिमाही में भी इसमें मजबूत गति जारी है और इस दौरान यह 88 लाख वर्ग फुट दर्ज की गई।
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JLL इंडिया के अनुसार BFSI सेक्टर ने औसत ट्रांजैक्शन आकार में सबसे महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की है। BFSI कंपनियों ने अपनी जगह की आवश्यकताओं को दोगुना से भी अधिक कर दिया है। औसत डील आकार 2017-2019 में 10,500-11,500 वर्ग फुट थी, जो 2022 से 2025 की पहली तिमाही के बीच बढ़कर 24,000-25,000 वर्ग फुट हो गई। जाहिर है इस दौरान इसमें 125 से 130 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।
JLL इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री डॉ. सामंतक दास ने कहा, “घरेलू कंपनियां भारत के कमर्शियल रियल एस्टेट परिदृश्य को बदल रही हैं, जो बाजार की गतिशीलता में एक मौलिक बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। यह विकास भारत की मजबूत होती अर्थव्यवस्था, दक्षता और एकीकरण पर केंद्रित बदलती कॉर्पोरेट रणनीतियों को दर्शाता है। भारत के ऑफिस लीज़िंग परिदृश्य में बदलाव मात्रात्मक है। वैश्विक कंपनियों का वर्चस्व अभी भी बना हुआ है। लेकिन ऑफिस बाजार में भारतीय कंपनियों का बढ़ता महत्व देश में बढ़ती लीज़िंग गतिविधि के स्तर का समर्थन करता रहेगा। घरेलू और विदेशी कंपनियों में अगले 3-4 वर्षों में भारत की लीज़िंग मात्रा को 10 करोड़ वर्ग फुट से अधिक तक ले जाने की क्षमता है।
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मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की कमर्शियल रियल एस्टेट में वृद्धि भी अच्छी खासी हो रही है। इस क्षेत्र की वृद्धि BFSI सेक्टर की वृद्धि से थोड़ी ही कम है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में औसत डील 2017-2019 में 7,000-8,000 वर्ग फुट से बढ़कर 2022 से 2025 की पहली तिमाही तक 15,000-16,000 वर्ग फुट हो गई है, जो 100 से 120 फीसदी की वृद्धि दर्शाती है। यह भारत के घरेलू उत्पादन क्षमताओं पर बढ़े हुए ध्यान को दर्शाता है। जबकि फ्लेक्स ऑपरेटर प्रति ट्रांजैक्शन सबसे बड़ी जगह 57,000-60,000 वर्ग फुट (पिछले स्तरों से 35-45 फीसदी अधिक) पर हासिल करना जारी रखते हैं।
टेक्नॉलजी कंपनियों ने भी अपनी उपस्थिति में काफ़ी वृद्धि की है। IT ऐंड ITeS सेक्टर का औसत अब प्रति डील 31,000-32,000 वर्ग फुट है, जो 2017-2019 की अवधि से 85-95 फीसदी अधिक है। औसत डील आकार में वृद्धि का श्रेय BFSI कंपनियों द्वारा संचालन को केंद्रीकृत करने के रणनीतिक एकीकरण प्रयासों, मैन्युफैक्चरिंग के लिए बेहतर सरकारी नीति समर्थन और एंटरप्राइज क्लाइंट से बढ़ती जगह की ज़रूरतों को दिया जा सकता है। जिससे फ्लेक्स स्पेस की मांग बढ़ रही है। बड़े डील आकार की यह प्रवृत्ति सभी क्षेत्रों में फैली हुई है और घरेलू कंपनियों की कुल बाजार हिस्सेदारी बढ़कर कुल लीज़िंग गतिविधि का 46 फीसदी हो गई है, जो भारत के ऑफिस बाजार की गतिशीलता में एक मौलिक बदलाव का संकेत है।
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कमर्शियल रियल एस्टेट बाजार में शहरों के मामले में दिल्ली एनसीआर घरेलू लीजिंग गतिविधि में अग्रणी है, जबकि मुंबई ने सबसे महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की है। 2017-2019 की अवधि की तुलना में 2022 से इसकी हिस्सेदारी में लगभग 62 फीसदी की वृद्धि हुई है। दिल्ली एनसीआर हाल ही में मामूली गिरावट के बावजूद घरेलू कंपनियों के लिए अपनी अग्रणी स्थिति बनाए हुए है। इसे एक विविध उद्योग इकोसिस्टम से लाभ मिलता है जहां फ्लेक्स ऑपरेटर की लीज़िंग गतिविधि में 30 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी है। मुंबई की वृद्धि का श्रेय मुख्य रूप से फाइनेंशियल सेक्टर के विस्तार को जाता है। जिसमें BFSI कंपनियां लगातार घरेलू मांग का 30 फीसदी से अधिक प्रतिनिधित्व करती हैं।
JLL इंडिया के हेड (ऑफिस लीजिंग ऐंड रिटेल सर्विसेज) राहुल अरोरा ने कहा, “भारत के घरेलू कॉर्पोरेट रियल एस्टेट परिदृश्य के विकास से प्रमुख मेट्रो शहरों में ऑक्यूपायर की प्राथमिकताओं में एक आकर्षक अंतर का पता चलता है। दिल्ली एनसीआर और मुंबई मांग के अलग अलग चालकों के साथ आगे हैं।”