भारत के शीर्ष सात शहरों में मकानों की बिक्री घटी है। गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि बाजार स्थिर हो रहा है और कैलेंडर वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में इसमें 11 फीसदी की गिरावट आई है। प्रॉपर्टी कंसल्टिंग कंपनी एनारॉक द्वारा जारी आंकड़े दर्शाते हैं कि बिक्री पिछले साल की तीसरी तिमाही के 1.20 लाख मकानों से कम होकर इस साल 1.07 लाख हो गई है।
एनारॉक की बिक्री घटने का कारण उच्च कीमतें और मॉनसून को बताया है। इसने कहा कि श्राद्ध पक्ष के दौरान भारतीय मकान खरीदना नहीं चाहते हैं इसलिए भी मांग में गिरावट आई है। कुल मिलाकर पहली तिमाही में नए शिखर पर पहुंचने के बाद आवास बाजार स्थिर हो रहा है। शीर्ष सात शहरों में मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर), दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर), हैदराबाद, बेंगलूरु, चेन्नई, कोलकाता और पुणे हैं। इस साल की तीसरी तिमाही में 93,750 मकान पेश किए गए थे, जो बीते साल की समान अवधि के दौरान पेश किए गए 1,16,220 मकानों के मुकाबले 19 फीसदी कम हैं।
इसके अलावा एनारॉक के मुताबिक, बढ़ती इनपुट लागत और इस साल की पहली तिमाही में अधिक बिक्री के अलावा एक बात यह भी है कि बीते एक से दो वर्षों में मकानों की कीमत बेतहाशा बढ़ी है। कई खरीदार फिर स्थिति पर नजर रखने लगे हैं।
एनारॉक रिसर्च के मुताबिक, शीर्ष सात शहरों में औसत आवासीय कीमतों में पिछले साल की तीसरी तिमाही के मुकाबले इस साल की तीसरी तिमाही में 23 फीसदी की सालाना वृद्धि हुई है। इसके अलावा, अगर हम डेटा रुझानों की तुलना करें तो औसत कीमत साल 2022 की तीसरी तिमाही के मुकाबले साल 2024 की तीसरी तिमाही में 37 फीसदी बढ़ी हैं। इससे कई खरीदारों पर दबाव पड़ा है।
नई पेशकशों में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी लक्जरी मकानों की है। 1.5 करोड़ से अधिक वाले लक्जरी मकानों की हिस्सेदारी 33 फीसदी है। नई पेशकशों में सबसे कम करीब 13 फीसदी हिस्सेदारी किफायती मकानों की है। बिक्री में कुछ गिरावट इसलिए भी आई है क्योंकि कुछ साल पहले मकान खरीदने वाले निवेशक भी अब राहत की सांस ले रहे हैं क्योंकि कीमतें उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं। कुल मिलाकर इन्ही कारणों से तीसरी तिमाही में कम बिक्री हुई है।
शहर की बात करें तो कोलकाता में मकानों की खपत में एक साल पहले के मुकाबले सर्वाधिक 25 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। आपूर्ति के मोर्चे पर पुणे में 49 फीसदी की भारी गिरावट देखी गई। मगर एनारॉक ग्रुप के अनुज पुरी ने कहा, ‘असल बात है कि पेशकश के मुकाबले बिक्री अधिक रही। यह दर्शाता है कि मांग-आपूर्ति समीकरण मजबूत बनी है।’
दूसरी ओर कोलियर्स के शोध के मुताबिक, इसी अवधि में शीर्ष छह भारतीय शहरों में 1.73 करोड़ वर्गफुट स्थान के पट्टे के बीच ग्रेड ए ऑफिस स्पेस की मांग में 31 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया। इस बीच, आपूर्ति भी 33 फीसदी बढ़कर 1.44 करोड़ वर्गफुट हो गई। बेंगलूरु, चेन्नई, दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और पुणे शीर्ष छह शहर हैं।
कुल मिलाकर इस साल अब तक शहरों ने 4.67 करोड़ वर्गफुट ऑफिस स्पेस की खपत दर्ज की, जो एक साल पहले के मुकाबले 23 फीसदी अधिक है। कोलियर्स के प्रबंध निदेशक (ऑफिस सर्विस, इंडिया) अर्पित मेहरोत्रा ने कहा, ‘बेंगलूरु में बड़े सौदों के माध्यम से 81 फीसदी पट्टे पर लिए गए जबकि पुणे 71 फीसदी के साथ उसके बाद रहा। सौदे प्रौद्योगिकी और बीएफएसआई क्षेत्र से रहे।’
शोध के मुताबिक, तिमाही के दौरान प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने कुल ऑफिस स्पेस की मांग का लगभग एक-चौथाई हिस्सा हासिल किया, इसके बाद बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और बीमा (बीएफएसआई) के खपत और फ्लेक्स स्पेस ऑपरेटरों का स्थान रहा।