भारत के वाई-फाई के बढ़ते बाजार पर नजर रखते हुए कैलिफोर्निया की वायरलेस उपकरण सप्लायर कंपनी रकस वायरलेस ने डेल इंडिया के साथ मैदान में उतरने का निर्णय लिया है।
कंपनी बड़े कॉर्पोरेट भवनों और रियल एस्टेट की विभिन्न परियोजनाओं के लिए ‘स्मार्ट वाई-फाई टेक्नोलॉजी’ को बाजार में उतारेगी।अपने कई वायरलेस तकनीकी उत्पादों में से रकस वायरलेस सबसे पहले देश में अपने प्रमुख ब्रांड ‘जोनफ्लेक्स’ वायरलेस लोकल एरिया नेटवर्क के साथ शुरुआत करेगी, जो बहु-एंटिना एरै आधारित उत्पाद है और यह मल्टी-मीडिया से संबंधित चीजों के लिए 802.11 मानक तकनीक पर वितरण मुहैया करवाता है।
जोनफ्लेक्स पर कंपनी दावा करती है कि इसे कमजोर सिग्नल, खराब कवरेज और अधिक उपरिव्यय की समस्याओं को कम करता है।रुकुस वायरलेस के महाप्रबंधन (भारतीय परिचालन), सुदर्शन बूसुपल्ली का कहना है, ‘फिलहाल वाई-फाई एंटीना से जो रेडियो तरंगें भेजी जाती हैं, वे सर्व-दिशात्मक होती हैं और अधिक से अधिक वाई-फाई सिस्टम इन तरंगों से मेल नहीं खाते।
ऐसे में जो वाई-फाई युक्त लैपटॉप या मोबाइल फोन को एंटीना के पास रखते हैं, वे बेहतर सिग्नल का आनंद ले पाते हैं, जबकि दूसरे जो भवनों के भीतर इसका इस्तेमाल करते हैं उनके साथ ऐसा नहीं होता। यह समस्या और भी बढ़ जाती है जब एंटीना और वाई-फाई सिस्टम के बीच बहुत सी दीवारें आ जाती हैं, क्योंकि रेडियो तरंगें दीवारों को पार नहीं कर पातीं।’
रकस वायरलेस देश में दो मॉडल जोनफ्लेक्स 2925, 6 एंटीना के साथ और मॉडल 2942, 12 एंटीना के साथ लॉन्च करने वाली है। बूसूपल्ली का कहना है कि ‘इन उत्पादों के लिए देश में डेल ही मार्केटिंग का जिम्मा संभालेगी, जो देश में हमारी मूल्य-वर्धित रीसेलर भी है। अगले सोमवार से हमारे वाई-फाई सॉल्यूशंस बाजार में आ जाएंगे। हम डेल के उपभोक्ता नेटवर्क का लाभ उठाने के बारे में सोच रहे हैं।’ हालांकि उन्होंने दोनों कंपनियों के बीच किसी भी कारोबारी करार से इंकार कर दिया।
जोनफ्लेक्स उत्पाद इसलिए आगे है, क्योंकि वह रेडियो तरंगों को बेहतर प्रदर्शन करने में मदद करता है।?जोनफ्लेक्स वाई-फाई के वातावरण को पहचान कर सिग्नलों को कंक्रीट की दीवारों और अन्य रुकावटों के पास खुद-ब-खुद बेहतर बनाता है, ताकि उपभोक्ता हमेशा बाहरी दुनिया से वाई-फाई की मदद से जुड़ा रहे।
जोनफ्लेकस बीमफ्लेक्स स्मार्ट एंटीना तकनीक पर आधारित है जो रुकावटों को दूर कर बढ़िया सिग्नल मुहैया करवाती है। यह उपकरण बीम फ्लैश कर वाई-फाई वातावरण में बिना किसी सिग्नल को खोए उपभोक्ता को वाई-र्फाई का आनंद देता है।रकस वायरलेस उत्पाद जो इस्तेमाल करने में आसान हैं और कंपनी का ध्यान उत्पाद बेचने के लिए आईटी, रिटेल, हॉस्पिटैलिटी, शिक्षा, छोटे और मध्यम आकार के कारोबार और रियल एस्टेट क्षेत्र पर रहेगा।
उनका कहना है कि भारतीय वाई-फाई बाजार काफी बढ़ने वाला है और यह 2012 तक 1,040 करोड़ रुपये से बढ़कर 3,560 करोड़ रुपये का हो जाएगा। देश में बिकने वाले लगभग 95 प्रतिशत तक लैपटॉप वाई-फाई से लैस होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप देश में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी चल रही है। हर रियल एस्टेट परियोजना में अब वाई-फाई सुविधा दी जा रही है।
इसी तरह से मोबाइल हैंडसेट पर गेम्स और टेलीविजन की दुनिया बढ़ती जा रही है, इसलिए वाई-फाई में बढ़ोतरी की पूरी उम्मीद है। हमें उम्मीद है कि हम इन विकास योजनाओं का फायदा उठा सकेंगे।’
इसके अलावा रकस वायरलेस वाई-फाई के जरिए हाई डेफिनिशन इंटरनेट प्रोटोकॉल आधारित डिजिटल टीवी सिग्नल के ट्रांसमिशन के लिए तकनीक लॉन्च करने के लिए भी दूरसंचार कंपनियों से भागीदारी में संभावनाएं खोज रही है। इसके लिए कंपनी का सहायता केन्द्र फिलहाल मलयेशिया में है और कंपनी अपना एक सहायता केन्द्र बेंगलुरु या चेन्नई में स्थापित करने की योजना बना रही है।