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Tata Group में नई पीढ़ी की एंट्री! नोएल टाटा के बेटे नेविल टाटा बने ट्रस्टी, जानिए क्या है रतन टाटा से कनेक्शन

सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट ने किया बड़ा फैसला - नोएल टाटा के बेटे नेविल और टाटा समूह के अनुभवी भास्कर भट्ट बने ट्रस्टी।

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देव चटर्जी   
Last Updated- November 12, 2025 | 9:14 AM IST

टाटा समूह के दो मुख्य ट्रस्टों में से एक, सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट (SDTT) ने मंगलवार को बड़ा फैसला लिया। ट्रस्ट के चेयरमैन नोएल टाटा के बेटे नेविल टाटा और टाटा समूह के अनुभवी भास्कर भट्ट को तीन साल की अवधि के लिए नया ट्रस्टी नियुक्त किया गया है। विश्लेषकों का कहना है कि नेविल की नियुक्ति से नोएल टाटा का ग्रुप पर प्रभाव और मजबूत हुआ है। नेविल टाटा, जो अभी Trent Hypermarket के बिज़नेस हेड हैं, पहले से ही कई टाटा ट्रस्ट्स के बोर्ड में ट्रस्टी हैं। उनकी उम्र 32 साल है और उन्हें ट्रस्ट में एक नई पीढ़ी का प्रतिनिधि माना जा रहा है।

तीन साल का कार्यकाल क्यों, जब ट्रस्ट ने आजीवन नियुक्ति का नियम बनाया था?

हाल ही में टाटा ट्रस्ट्स ने ट्रस्टी के लिए आजीवन कार्यकाल (लाइफटाइम टेन्योर) की नीति अपनाई थी, लेकिन इसके बावजूद नेविल टाटा और भास्कर भट्ट को केवल तीन साल के कार्यकाल के लिए नियुक्त किया गया है। इसी तरह, उद्योगपति वेनू श्रीनिवासन को भी सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट में तीन साल के लिए ट्रस्टी नियुक्त किया गया है। उन्हें ट्रस्ट का वाइस चेयरमैन भी बनाया गया है। ट्रस्ट के एक बयान के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार के एक हालिया अध्यादेश (Ordinance) के तहत ट्रस्टी का कार्यकाल अब अधिकतम पांच साल तक सीमित कर दिया गया है। इस वजह से ट्रस्ट ने तीन साल का कार्यकाल तय किया है।

किसने प्रस्ताव रखा और कब से लागू होगी नियुक्ति?

नेविल टाटा का नाम वकील दरियस खंबाटा ने प्रस्तावित किया था, जिसे सभी ट्रस्टियों ने सर्वसम्मति से मंजूरी दी। वहीं भास्कर भट्ट का नाम वाइस चेयरमैन विजय सिंह ने रखा था, जिसका समर्थन सभी ने किया, जिनमें प्रमीत झावेरी भी शामिल हैं। ये नई नियुक्तियां 12 नवंबर 2025 से प्रभावी होंगी। दिलचस्प बात यह है कि नेविल की नियुक्ति को मंजूरी नोएल टाटा के जन्मदिन से एक दिन पहले मिली। बताया जा रहा है कि यह कदम रतन टाटा के पुराने विजन का हिस्सा था। उन्होंने नेविल को टाटा ट्रस्ट्स में शामिल कर भविष्य का नेतृत्व सौंपने की इच्छा जताई थी। जनवरी 2026 में नेविल को सर रतन टाटा ट्रस्ट में भी ट्रस्टी बनाए जाने की संभावना है।

ट्रस्ट के स्ट्रक्चर में और क्या बदलाव हुए?

ट्रस्ट ने अपनी एग्जीक्यूटिव कमेटी (कार्यकारी समिति) को भंग कर दिया है। अब टाटा ट्रस्ट्स के सीईओ सिद्धार्थ शर्मा सीधे चेयरमैन को रिपोर्ट करेंगे। वर्तमान में सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट की टाटा संस में 28% हिस्सेदारी है, जबकि सर रतन टाटा ट्रस्ट की हिस्सेदारी लगभग 24% है।

ट्रस्ट में मतभेद और सरकार की दखल

रतन टाटा के निधन के बाद पिछले एक साल में ट्रस्ट के अंदर कई मतभेद उभरे। सितंबर में रतन टाटा के करीबी रहे पूर्व ट्रस्टी मेहली मिस्त्री ने विजय सिंह की दोबारा नियुक्ति के खिलाफ वोट दिया था। इस पर नोएल टाटा ने भी मेहली मिस्त्री के टाटा संस बोर्ड में नामांकन का विरोध किया। वर्तमान में टाटा संस बोर्ड में ट्रस्ट के दो नामित सदस्य हैं – नोएल टाटा और वेनू श्रीनिवासन।

ट्रस्ट के अंदर बढ़ते तनाव को लेकर मामला इतना बढ़ गया कि गृहमंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को दखल देना पड़ा। उन्होंने अक्टूबर में टाटा ट्रस्ट्स और टाटा संस के शीर्ष प्रतिनिधियों से मुलाकात कर स्थिरता बनाए रखने की सलाह दी।

आरबीआई और टाटा संस की लिस्टिंग का दबाव

यह पूरा घटनाक्रम उस समय हो रहा है जब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने टाटा संस को 30 सितंबर 2025 तक स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होने का निर्देश दिया है। टाटा संस ने पिछले साल इस नियम से छूट मांगी थी। जहां टाटा ट्रस्ट्स लिस्टिंग टालने के पक्ष में हैं, वहीं शापूरजी पालोनजी (SP) ग्रुप, जिसके पास टाटा संस में करीब 18% हिस्सेदारी है, लिस्टिंग पर जोर दे रहा है।

First Published : November 12, 2025 | 9:14 AM IST