आवास वित्त कंपनियों के लिए चुनौतीपूर्ण परिदृश्य के लंबे खिंचने के बीच नीरज व्यास को पदोन्नति देकर पीएनबी हाउसिंग के स्वतंत्र निदेशक से कंपनी के प्रबंधन निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वह इस आवास वित्त कंपनी को मौजूदा चुनौतियों से उबारने के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं।
व्यास ने कहा कि प्रवर्तकों- पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) और कार्लाइल- ने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचने संबंधी योजनाओं को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है। उन्होंने कहा, ‘पीएनबी अपनी हिस्सेदारी 26 फीसदी से कम नहीं होने देगा।’ पीएनबी हाउसिंग 1,700 करोड़ रुपये का राइट्स इश्यू लाने जा रही है जिसमें पीएनबी और कार्लाइल की भी भागीदारी होगी।
जहां तक कारोबारी रणनीति का सवाल है तो मध्यम से दीर्घावधि रकम पर अधिक निर्भरता के साथ पूरी तरह विविधीकृत दायित्व फ्रैंचाइजी उसका एक अहम हिस्सा होगा। व्यास ने कहा, ‘हम अप्रत्याशित जरूरतों को पूरा करने के लिए तीन महीने से अधिक समय तक नकदी प्रवाह को बरकरार रख रहे हैं।’ एक अन्य महत्त्वपूर्ण पहलू वाणिज्यिक पत्रों की हिस्सेदारी घटाना है जहां सुधारात्मक प्रक्रिया पहले से ही जारी है।
वाणिज्यिक पत्रों की हिस्सेदारी 2018 के मध्य में 30 फीसदी से अधिक थी। आगे चलकर कुल उधारी में वाणिज्यिक पत्रों की हिस्सेदारी 6 से 7 फीसदी रखने की योजना है। सार्वजनिक जमा देनदारियों का एक अहम हिस्सा बनी रहेगी और इसकी हिस्सेदारी मौजूदा 17 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी करने की योजना है।
व्यास इस बात से भलीभांति अवगत हैं कि दीर्घावधि रकम एक खास लागत पर आती है जिससे मुनाफे को झटका लग सकता है। इसलिए वह नकदी प्रवाह को सहज बनाए रखते हुए उससे निपटना चाहते हैं।
जहां तक एचएफसी सहित एनबीएफसी के लिए आरबीआई के मसौदा दिशानिर्देशों का सवाल है तो व्यास ने कहा कि वे मौजूदा प्रावधानों के मुकाबले अपेक्षाकृत कम सख्त हैं। मसौदा दिशानिर्देशों के तहत बिल्डरों को आवास ऋण के तहत दिए गए ऋण को भी शुद्ध आवास ऋण के लिए 51 फीसदी सीमा की गणना में शामिल किया गया है। उन्होंने कहा, ‘हम आवास एवं गैर-आवास ऋण के लिए 75:25 के अनुपात को बरकरार रखने की कोशिश करेंगे।’
व्यास ने कहा कि पीएनबी हाउसिंग परिसंपत्ति के प्रतिभूतिकरण का सहारा नहीं लेगी जैसा पिछले 12 से 18 महीनों के दौरान देखा गया है। उन्होंने कहा, ‘नकदी प्रवाह और बहीखाते के प्रबंधन के उद्देश्य से हमें प्रतिभूतिकरण करना पड़ा था। लेकिन अब हम सहज स्थिति में हैं। वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही में प्रतिभूतिकरण की कोई योजना नहीं है। दूसरी छमाही में जरूरत पडऩे पर गैर-आवास ऋण बुक का प्रतिभूतिकरण किया जाएगा।’ व्यास ने कहा कि आवासीय मांग कोई समस्या नहीं है, विशेष तौर पर 75 लाख रुपये के दायरे वाले सस्ते आवासीय ऋण श्रेणी में। उन्होंने कहा, ‘अप्रैल में हमें ऋण के लिए 1,200 आवेदन प्राप्त हुए। मई में ऋण आवेदनों की संख्या बढ़कर 3,000 हो गई और जून में 4,000 से अधिक। वित्त वर्ष 2020 में हमने हर महीने 500 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण आवंटित किए।’ नवंबर के बाद मासिक ऋण वितरण बढ़कर 1,000 से 1,500 करोड़ रुपये हो गया।
