कंपनियां

छोटे उद्यमों में तेजी से बढ़ा ऑनलाइन लेनदेन

सांख्यिकी पर बनी स्थायी समिति के चेयरपर्सन प्रणव सेन ने कहा कि कोविड महामारी के बाद छोटे उद्यमों में डिजिटलीकरण उल्लेखनीय रूप से तेज हुआ है।

Published by
शिवा राजौरा   
Last Updated- July 05, 2024 | 10:16 PM IST

देश के व्यापक असंगठित क्षेत्र के 5 उद्यमों में से 1 से ज्यादा ने ऑर्डर लेने या लेनदेन करने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल किया है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से शुक्रवार को जारी असंगठित क्षेत्र उद्यमों के वार्षिक सर्वेक्षण (एएसयूएसई) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 की अवधि के दौरान असंगठित उद्यमों द्वारा उद्यमशीलता के मकसद से इंटरनेट का उपयोग बढ़ा है।

आंकड़ों से पता चलता है कि राष्ट्रीय स्तर पर उद्यमशीलता के मकसद से इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले प्रतिष्ठानों की हिस्सेदारी अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के दौरान बढ़कर 21.1 प्रतिशत हो गई है, जो अप्रैल 2021 से मार्च 2022 के दौरान 13.9 प्रतिशत थी।

एनएसओ ने एक बयान में कहा, ‘इससे सूचना तकनीक (आईटी) और डिजिटल प्लेटफॉर्मों के इस्तेमाल में सुधार का पता चलता है। साथ ही यह भी संकेत मिलता है कि इस सेक्टर में डिजिटलीकरण तेजी से बढ़ रहा है।’ग्रामीण इलाकों में असंगठित उद्यमों द्वारा इंटरनेट का इस्तेमाल 7.7 प्रतिशत से बढ़कर 13.5 प्रतिशत हो गया है। वहीं शहरी इलाकों में असंगठित उद्यमों द्वारा इंटरनेट का इस्तेमाल इस अवधि के दौरान 21.6 प्रतिशत से बढ़कर 30.2 प्रतिशत हो गया है।

सांख्यिकी पर बनी स्थायी समिति के चेयरपर्सन प्रणव सेन ने कहा कि कोविड महामारी के बाद छोटे उद्यमों में डिजिटलीकरण उल्लेखनीय रूप से तेज हुआ है। उन्होंने कहा, ‘व्यापक असंगठित व अनौपचारिक क्षेत्र के छोटे प्रतिष्ठान तेजी से डिजिटल तकनीक स्वीकार कर रहे हैं और अपना कारोबार बढ़ा रहे हैं। अब डिजिटल भुगतान व्यापक हो गया है।’

भारत की अर्थव्यवस्था में असंगठित क्षेत्र महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में प्रतिष्ठान हैं और अकुशल, अर्धकुशल, कुशल लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार इस क्षेत्र से मिलता है। साथ ही देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इनकी अहम भूमिका है। इन उद्यमों में साधारणतया छोटे कारोबार, वेंडर, हॉकर, संपूर्ण स्वामित्व वाले काम, साझेदारी व अन्य कारोबार शामिल होते हैं, जो कंपनी अधिनियम, 1956 या कंपनी ऐक्ट, 2013 में नहीं आते।

रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि असंगठित गैर कृषि प्रतिष्ठानों की मालिकाना वाली संपत्तियां अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के बीच बढ़कर 3,18,144 करोड़ रुपये हो गई हैं, जो अप्रैल 2021 से मार्च 2022 के बीच 2,81,013 करोड़ रुपये थी। इससे पता चलता है कि इस सेक्टर में पूंजीगत निवेश बढ़ा है।

एनएसओ ने अपने बयान में कहा है, ‘वहीं इस दौरान प्रति प्रतिष्ठान बकाया कर्ज एएसयूएसई 2021-22 के 37,408 करोड़ रुपये से बढ़कर एएसयूएई 2022-23 में 50,138 करोड़ रुपये हो गया है।

First Published : July 5, 2024 | 10:16 PM IST