बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने आज यह फैसला भारतीय कंपनियों पर छोड़ दिया कि वे चेयरमैन और प्रबंध निदेशक या मुख्य कार्याधिकारी (एमडी एवं सीईओ) पदों पर अलग-अलग या एक ही व्यक्ति को रखें। यह कदम 1 अप्रैल 2022 की उस अंतिम तिथि से पहले उठाया गया है, जिसमें बाजार मूल्य के लिहाज से शीर्ष 500 कंपनियों को इन पदों पर दो अलग-अलग और गैर-संबंधित व्यक्तियों को नियुक्त करना था।
सेबी ने नई दिल्ली में अपने बोर्ड की बैठक के बाद प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘सेबी के बोर्ड ने इस कंपनी प्रशासन सुधार के संबंध में अब तक प्राप्त अनुपालना के असंतोषजनक स्तर, विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों के आने, महामारी के मौजूदा हालात से पैदा दिक्कतों और कंपनियों को आसान बदलाव में सक्षम बनाने के नजरिये से फैसला लिया है कि इस प्रावधान को अनिवार्य नहीं रखा जा सकता है और इसके बजाय यह फैसला सूचीबद्ध कंपनियों पर छोड़ दिया जाए।’
कंपनियों के बारे में सूचनाएं रखने वाली एक कंपनी प्राइमइन्फोबेस के मुताबिक सेबी की इस राहत से 150 से अधिक कंपनियों को लाभ मिलेगा, जिनमें इस समय एक ही व्यक्ति चेयरपर्सन और एमडी/सीईओ है।
इस कदम से जिन बड़ी कंपनियों को फायदा मिलेगा, उनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज) (जिसमें मुकेश अंबानी दोनों पदों पर हैं) हिंदुस्तान यूनिलीवर (संजीव मेहता), बजाज फिनसर्व (संजीव बजाज) और अदाणी पोट्र्स ( गौतम अदाणी) शामिल हैं। इस नियम का पांच साल पहले प्रस्ताव रखा गया था और सेबी ने चार साल पहले मंजूरी दी थी। इसके बावजूद कॉरपोरेट क्षेत्र ने प्रशासन की इस जरूरत के अनुपालन में अनिच्छा दिखाई है। बाजार नियामक ने मार्च 2018 में अलग-अलग होने का नियम जारी किया था और भारतीय कंपनियों को अनुपालन के लिए अप्रैल 2020 तक का समय दिया था। वर्ष 2020 में नियामक ने अंतिम तिथि दो साल और बढ़ा दी थी।
सेबी ने कहा, ‘पिछले दो साल के दौरान शीर्ष 500 सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा अनुपालन में मुश्किल से 4 फीसदी सुधार आया है, इसलिए शीर्ष 500 सूचीबद्ध कंपनियों में से शेष 46 फीसदी से लक्षित तारीख तक इन नियमों के अनुपालन की उम्मीद करना मुश्किल है।’ इस महीने की शुरुआत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सेबी से आग्रह किया था कि इन नियमों के अनुपालन पर भारतीय कंपनियों की दिक्कतें सुनी जाएं।